Nagpanchami 2022: केरल के इस मंदिर में हैं हजारों नाग प्रतिमाएं, इन्हें किसने और क्यों बनवाया, आज भी है रहस्य

Published : Aug 01, 2022, 11:48 AM IST
Nagpanchami 2022: केरल के इस मंदिर में हैं हजारों नाग प्रतिमाएं, इन्हें किसने और क्यों बनवाया, आज भी है रहस्य

सार

श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी (Nagpanchami 2022) का पर्व मनाया जाता है। इसबार ये पर्व 2 अगस्त, मंगलवार को मनाया जाएगा। इस दिन नागदेवता की पूजा करने का विधान है।

उज्जैन. इस बार 2 अगस्त, मंगलवार को नागपंचमी का पर्व मनाया जाएगा। हमारे देश में नागों से जुड़े अनेक मंदिर हैं, लेकन इनमे से कुछ बहुत खास हैं। ऐसा ही एक नाग मंदिर केरल के आलापुज्हा (अलेप्पी) शहर से 37  किलोमीटर दूरी स्थित है, इसे मन्नारशाला नाग मंदिर (Snake Temple Mannarsala) कहते हैं। ये मंदिर किसी आश्चर्य से कम नहीं है क्योंकि यहां 1-2 नहीं बल्कि 30 हजार से अधिक नाग प्रतिमाएं हैं। यह मंदिर 16 एकड़ के भूभाग पर फैला हुआ है, यहां जिधर देखो नाग प्रतिमाएं भी दिखाई देती हैं। आगे जानिए इस मंदिर से जुड़ी खास बातें…

महाभारत काल से जुड़ा है मंदिर का इतिहास
पौराणिक कथाओं के अनुसार पांडवों ने जब इंद्रप्रस्थ राज्य बसाया तो इसके पहले यहां एक घना बना था, जिसे खांडव वन कहा जाता था। यहां कई भयंकर सर्प निवास करते थे। अर्जुन ने अपने अस्त्रों से इस वन को जलाकर भस्म कर दिया। तब उस वन में रहने वाले सांप अपनी जान बचाकर इधर-उधर भागने लगे। ऐसा कहा जाता है कि वहीं महाभयंकर विषधर सर्प यहां केरल में आकर बस गए। 

नागराज और नागयक्षी को समर्पित हैं ये मंदिर
केरल का मन्नारशाला मंदिर नागराज तथा उनकी पत्नी नागयक्षी को समर्पित है। निसंतान लोग यहां हल्दी से बनी नाग प्रतिमा चढ़ाते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से संतान प्राप्ति के योग बनते हैं। इसके लिए पहले पति-पत्नी को मंदिर के तालाब में नहाकर गीले कपड़ों में ही दर्शन के लिए जाना होता है। पति-पत्नी यहां एक कांसे का बर्तन, जिसे उरुली कहते हैं को पलट कर रख देते हैं। संतान होने पर इस बर्तन को सीधा करके उसमें अपनी इच्छा अनुसार भेंट रखते हैं।

एक ही परिवार करता है यहां पूजा
मन्नारशाला मंदिर परिसर से ही साधारण-सा एक खानदानी घर है। यहां नम्बूदिरी परिवार के लोग रहते हैं। इस परिवार की बहू ही मंदिर में पूजा आदि करती है। स्थानीय लोग उन्हें अम्मा कहते हैं। शादी शुदा होने के बाद भी वे ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए दूसरे पुजारी परिवार के साथ अलग कमरे में रहती हैं। मान्यता है कि इसी परिवार की एक स्त्री के गर्भ से नागराज ने जन्म लिया था। उसी की प्रतिमा इस नाग मंदिर में लगी है।


ये भी पढ़ें-

Nagpanchami 2022: शिव-सिद्ध योग में मनाया जाएगा नागपंचमी पर्व, ये है पूजा विधि, मंत्र, मुहूर्त, कथा और आरती


Nagpanchami 2022: कौन हैं नागों के राजा, जो शिवजी के गले में निवास करते हैं, क्या आप जानते हैं ये रोचक बातें?

Nagpanchami 2022: कालसर्प दोष से हैं परेशान तो रोज सुबह करें 10 मिनिट का ये आसान उपाय
 

PREV

Recommended Stories

Rukmini Ashtami 2025: कब है रुक्मिणी अष्टमी, 11 या 12 दिसंबर?
Mahakal Bhasma Aarti: नए साल पर कैसे करें महाकाल भस्म आरती की बुकिंग? यहां जानें