मध्य प्रदेश के सतना जिले में मैहर तहसील के पास त्रिकूट पर्वत पर स्थित है मां शारदा का मंदिर। लोग इसे मैहर देवी का मंदिर भी कहते हैं। मैहर का मतलब है मां का हार।
उज्जैन. पूरे भारत में माता शारदा का ये एकमात्र मंदिर है। इसी पर्वत की चोटी पर माता के साथ ही श्री काल भैरवी, हनुमानजी, देवी काली, दुर्गा, श्री गौरी शंकर, शेषनाग और ब्रह्म देव की भी पूजा की जाती है।
इस मंदिर से जुड़ी है ये खास मान्यता
मान्यता के अनुसार, आल्हा और उदल जिन्होंने पृथ्वीराज चौहान के साथ युद्ध किया था, वे भी शारदा माता के बड़े भक्त थे। इन्होंने ने ही शारदा देवी के इस मंदिर की खोज की थी। इसके बाद आल्हा ने इस मंदिर में 12 सालों तक तपस्या कर देवी को प्रसन्न किया था। आज भी यही मान्यता है कि माता शारदा के दर्शन हर दिन सबसे पहले आल्हा और उदल ही करते हैं।
600 फीट ऊपर है माता का मंदिर
त्रिकूट पर्वत पर मैहर देवी का मंदिर भू-तल से छह सौ फीट की ऊंचाई पर है। मंदिर तक जाने वाले मार्ग में 300 फीट तक की यात्रा गाड़ी से भी की जा सकती है। मैहर देवी मां शारदा तक पहुंचने की यात्रा को चार भागों में बाटा गया है। प्रथम भाग की यात्रा में चार सौ अस्सी सीढ़ियों को पार करना होता है। दूसरे भाग 228 सीढ़ियों का है। इस यात्रा खंड में पानी व अन्य पेय पदार्थों की व्यवस्था होती है। यहां पर आदिश्वरी माई का प्राचीन मंदिर है। यात्रा के तीसरे भाग में 147 सीढ़ियां हैं। चौथे और आखिरी भाग में 196 सीढ़ियां पार करनी होती हैं। तब मां शारदा का मंदिर आता है।
कब जाएं
सतना की यात्रा करने के लिए साल का कोई भी समय चुना जा सकता है। सालभर यहां भक्तों की भीड़ लगी रहती है।
कैसे पहुंचें
हवाई मार्ग- सतना से 160 कि.मी. की दूरी पर जबलपुर और 140 कि.मी. की दूरी पर खजुराहो एयरपोर्ट है। वहां तक हवाई मार्ग से आकर सड़क मार्ग से सतना पहुंचा जा सकता है।
रेल मार्ग- मैहर जिले के लिए देश के कई शहरों से रेल गाड़ियां चलती है।
सड़क मार्ग- मैहर जिला देश के कई शहरों के सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। इसलिए यहां बस या निजी वाहन से पहुंचा जा सकता है।