परंपरा: दक्षिण दिशा की ओर पैर करके नहीं सोना चाहिए, जानिए क्या है इसका धार्मिक और वैज्ञानिक कारण

हिंदू धर्म की परंपराओं के मुताबिक दक्षिण दिशा की ओर पैर रखकर नहीं सोना चाहिए। माना जाता है इस तरह सोने से सेहत खराब होने लगती है।

उज्जैन. महाभारत और कुछ पुराणों का कहना है कि दक्षिण दिशा में सोने से उम्र भी कम होने लगती है। वहीं विज्ञान कहता है कि उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव में चुंबकिय शक्ति होती है। जिसका अच्छा और बुरा असर इंसान के शरीर पर पड़ता है। मानव शरीर में 3 से 4 ग्राम आयरन होता है। लेकिन इस पर उत्तर और दक्षिण दिशा में मौजूद चुंबकिय शक्ति का पूरा असर होता है। इस कारण गलत दिशा यानी उत्तर में पैर रखकर सोने से शरीर में ऊर्जा की कमी होने से थकान महसूस होने लगती है। इसलिए धर्म और विज्ञान के नजरिये से भी इस परंपरा का महत्व है।

ये है धार्मिक कारण
पुराणों के अनुसार दक्षिण दिशा में पितर रहते हैं। इसको यम की दिशा भी माना गया है। इस दिशा में पैर रखकर सोने से दोष लगता है। महाभारत के अनुशासन पर्व, पद्म पुराण और सृष्टि पुराण के मुताबिक दक्षिण में पैर रखकर सोने से उम्र कम होती है। इसके साथ बीमारियां बढ़ती हैं और ऐसे घर से लक्ष्मी जी चली जाती हैं।

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ये है वैज्ञानिक कारण
विज्ञान कहता है पृथ्वी के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव के भीतर चुंबकीय शक्ति होती है। शारीरिक संरचना के मुताबिक सिर उत्तर दिशा है और पांव को दक्षिण दिशा माना गया है। जब सिर उत्तर और पैर दक्षिण में रखकर सोते हैं तो ये प्रतिरोधक का काम करती हैं। विपरीत दिशाएं एक-दूसरे को आकर्षित करती हैं और समान दिशाएं प्रतिरोधक बन जाती हैं। जिसके चलते सेहत और मस्तिष्क पर असर पड़ता है। दक्षिण दिशा की ओर पैर रखकर सोने से शरीर की ऊर्जा कम होने लगती है। इस वजह से सुबह उठने पर थकावट महसूस होती है।

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