सुबह उठते ही देखनी चाहिए अपनी दोनों हथेलियां, जानिए क्या है इस परंपरा का मनोवैज्ञानिक कारण

हिंदू धर्म में अनेक परंपराएं हैं। इनमें से कुछ के कारण वैज्ञानिक हैं तो कुछ के मनोवैज्ञानिक। सुबह उठते ही कर दर्शन की परंपरा भी पुरातन समय से चली आ रही है। कर दर्शन यानी अपनी हथेलियों को देखना।

उज्जैन. हिंदू धर्म में अनेक परंपराएं हैं। इनमें से कुछ के कारण वैज्ञानिक हैं तो कुछ के मनोवैज्ञानिक। सुबह उठते ही कर दर्शन की परंपरा भी पुरातन समय से चली आ रही है। कर दर्शन यानी अपनी हथेलियों को देखना। यानी सुबह उठते ही सबसे पहले हमें अपनी हथेलियों के ही दर्शन करना चाहिए। जानिए क्या होता है सुबह-सुबह हथेलियों के दर्शन करने से…

ऐसे करें कर दर्शनम
सुबह जब नींद से जागें तो अपनी हथेलियों को आपस में मिलाकर पुस्तक की तरह खोल लें और यह श्लोक पढ़ते हुए हथेलियों का दर्शन करें-
कराग्रे वसते लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती।
कर मूले स्थितो ब्रह्मा प्रभाते कर दर्शनम्॥

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अर्थात- (मेरे) हाथ के अग्रभाग में लक्ष्मी का, मध्य में सरस्वती का और मूल भाग में ब्रह्मा का निवास है।

ये है इस परंपरा का मनोवैज्ञानिक कारण…
- हथेलियों के दर्शन का मूल भाव तो यही है कि हम अपने कर्म पर विश्वास करें। हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि ऐसे कर्म करें जिससे जीवन में धन, सुख और ज्ञान प्राप्त करें।
- हमारे हाथों से ऐसा कर्म हों जिससे दूसरों का कल्याण हो। संसार में इन हाथों से कोई बुरा कार्य न करें।
- हथेलियों के दर्शन के समय मन में संकल्प लें कि मैं परिश्रम कर दरिद्रता और अज्ञान को दूर करूंगा और अपना व जगत का कल्याण करूंगा।
 

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