महाभारत में बताए गए हैं धन से जुड़े कुछ नियम, सभी लोगों को रखना चाहिए इन बातों का ध्यान

महाभारत के वनपर्व नीति में धर्म की बहुत बातें कही गई हैं। वनपर्व महाभारत में तब आता है, जब जुए में हार चुके पांडव 12 वर्ष के वनवास और एक साल के अज्ञातवास पर भेजे जाते हैं।

Asianet News Hindi | Published : Jul 23, 2020 2:10 AM IST / Updated: Jul 23 2020, 04:05 PM IST

उज्जैन. वनवास के दौरान पांचों पांडव और द्रौपदी के संवादों में नीति की कई बातें की गई हैं। उन्हीं में से एक ये भी है-

यस्य चार्थार्थमेवार्थः स च नार्थस्य कोविदः।
रक्षेत भृतकोरण्ये यथा गास्यादृगेव सः।। (महाभारत, वनपर्व, भीम-युधिष्ठिर संवाद)

Latest Videos

अर्थ - जिसका धन केवल धन के लिए ही है, दान आदि के लिए नहीं, वह धन के तत्व को नहीं जानता। जैसे सेवक (ग्वाला) वन में केवल गौओं की रक्षा ही करता है, वैसे ही वह भी दूसरों के लिए धन का केवल रक्षक मात्र है। 

- हमारे धर्म शास्त्र कहते हैं कि धन की तीन गतियां होती हैं, पहली दान, दूसरी भोग और तीसरी नाश।
- जो लोग धन कमाते हैं लेकिन दान नहीं करते और ना ही उसका उपभोग करते हैं, केवल कमाने में ही लगे रहते हैं, उनके धन का नाश हो जाता है या फिर दूसरे ही उस धन का सुख भोगते हैं।
- अतः धन कमाने के साथ आवश्यक है कि उससे दान किया जाए, साथ ही अपने सुख के लिए उसका व्यय भी हो।
- तभी धन कमाने ठीक है, अन्यथा सिर्फ संचय के लिए धन कमाने से कोई लाभ नहीं क्योंकि उसका उपभोग हमेशा दूसरे ही करते हैं।

Share this article
click me!

Latest Videos

Donald Trump Victory: अमेरिकी चुनावों में ट्रंप की जीत पर Hamas ने दिया रिएक्शन ? | US Election 2024
आखिर क्यों CM योगी ने महाअघाड़ी गठबंधन को बताया महाअनाड़ी गठबंधन #Shorts
US Election Result: Donald Trump के चुनाव जीतने पर और क्या बोले PM Modi ? । Kamala Harris
US Election Results 2024: अमेरिका में Donald Trump की जीत, लेकिन कब लेंगे राष्ट्रपति पद की शपथ?
शिवराज सिंह को मिला अम्मा का प्यार, बीच सड़क पर दे दिया खास तोहफा #Shorts