केदारनाथ मंदिर के पट खुले, ऐसा है मंदिर का स्वरूप, इन 5 मंदिरों के समूह को कहते हैं पंचकेदार

17 मई, सोमवार से केदारनाथ मंदिर के कपाट खुल चुके हैं। भगवान शिव का ये प्राचीन मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग में स्थित है। ये 12 ज्योतिर्लिंगों और 4 धाम में से एक है।

उज्जैन.  गर्मी के अलावा अन्य ऋतुओं में केदारनाथ मंदिर के आस-पास का वातावरण प्रतिकूल रहता है, इस वजह से मंदिर के कपाट बंद रहते हैं। पिछली बार की तरह इस बार भी मंदिर खुलने के बाद कोरोना के चलते श्रद्धालु भगवान के दर्शन नहीं कर सकेंगे, लेकिन ऑनलाइन दर्शन व्यवस्था चालू रहेगी।

ऐसा है मंदिर का स्वरूप
पत्थरों से बने कत्यूरी शैली से बने इस मन्दिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण पाण्डव वंश के जनमेजय ने कराया था। यहां स्थित स्वयम्भू शिवलिंग अति प्राचीन है। यह मन्दिर एक छह फीट ऊँचे चौकोर चबूतरे पर बना हुआ है। मन्दिर में मुख्य भाग मण्डप और गर्भगृह के चारों ओर प्रदक्षिणा पथ है। बाहर प्रांगण में नन्दी बैल वाहन के रूप में विराजमान हैं। मन्दिर का निर्माण किसने कराया, इसका कोई प्रामाणिक उल्लेख नहीं मिलता है, लेकिन हाँ ऐसा भी कहा जाता है कि इसकी जीर्णोद्धार आदि गुरु शंकराचार्य ने करवाया था।

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ये हैं पंचकेदार
उत्तराखंड में शिवजी के पांच पौराणिक मंदिरों का एक समूह है, जिसे पंचकेदार के नाम से जाना जाता है। इस समूह में केदारनाथ, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर और कल्पेश्वर महादेव मंदिर शामिल है। कल्पेश्वर मंदिर को छोड़कर शेष चारों मंदिर शीतकाल में भक्तों के लिए बंद रहते हैं। ये हैं पंचकेदार से जुड़ी खास बातें…

केदारनाथ धाम
पंच केदार में से एक केदारनाथ मंदिर उत्तराखंड के रूद्रप्रयाग जिले में है। केदारनाथ बारह ज्योतिर्लिंग में से एक है। ये राज्य के चारधाम में भी शामिल है।

तुंगनाथ मंदिर
तुंगनाथ मंदिर रुद्रप्रयाग जिले में है। पंच केदार में ये मंदिर सबसे ऊंचाई पर स्थित है।

रुद्रनाथ मंदिर
रुद्रनाथ मंदिर उत्तराखण्ड के चामोली जिले में है। रुद्रनाथ मंदिर में शिवजी के एकानन यानी मुख की पूजा की होती है।

मध्यमहेश्वर मंदिर
ये मंदिर रुद्रप्रयाग जिले में है। यहां शिवजी की नाभि की पूजा की जाती है।

कल्पेश्वर मंदिर
इस मंदिर में शिवजी की जटाओं की पूजा की जाती है। ये मंदिर उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में स्थित है।

नर-नारायण की भक्ति से प्रसन्न हुए शिवजी
- केदरनाथ ज्योतिर्लिंग से जुड़ी कई मान्यताएं हैं। शिवपुराण की कोटीरुद्र संहिता में बताया गया है कि प्राचीन समय में बदरीवन में विष्णुजी के अवतार नर-नारायण इस क्षेत्र में पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा करते थे।
- नर-नारायण की भक्ति से प्रसन्न होकर शिवजी प्रकट हुए। शिवजी ने नर-नारायण से वरदान मांगने को कहा, तब सृष्टि के कल्याण के लिए नर-नारायण ने वर मांगा कि शिवजी हमेशा इसी क्षेत्र में रहें।
- शिवजी ने कहा कि अब से वे यहीं रहेंगे और ये क्षेत्र केदार क्षेत्र के नाम से जाना जाएगा। शिवजी ने नर-नारायण को वरदान देते हुए कहा था कि जो भी भक्त केदारनाथ के साथ ही नर-नारायण के भी दर्शन करेगा, वह सभी पापों से मुक्त होगा और उसे अक्षय पुण्य मिलेगा। 

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