भारत में अनेक मंदिर अपनी परंपराओं और मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है। राजस्थान (Rajasthan) के बांसवाड़ा (Banswara) से 85 किलोमीटर दूर प्रतापगढ़ (Pratapgarh) जिले के अरनोद (Arnod) तहसील में भी ऐसा ही एक मंदिर स्थित है। इसे गौतमेश्वर महादेव मंदिर (Gautameshwar Mahadev Temple) कहा जाता है।
उज्जैन. राजस्थान (Rajasthan) के बांसवाड़ा (Banswara) के निकट स्थित गौतमेश्वर महादेव मंदिर (Gautameshwar Mahadev Temple) आदिवासियों के हरिद्वार के नाम से भी जाना जाता है। यहां भगवान शिव के मन्दिर के ऊपर से झरना बहता है। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहां लोगों को पाप से मुक्ति का सर्टिफिकेट दिया जाता है।
ऐसे मिलता है सर्टिफिकेट
गौतमेश्वर महादेव मन्दिर (Gautameshwar Mahadev Temple) के निकट एक कुंड है, जिसे मंदाकिनी कुंड (Mandakini Kund) कहते हैं। मान्यता है कि इस कुंड में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिल जाती है। मंदिर ट्रस्ट की ओर से आपको पाप मुक्ति का सर्टिफिकेट भी दिया जाता है। इसके लिए आपको 11 रुपए चुकाने पड़ते हैं। सर्टिफिकेट के 1 रुपया और दोष निवारण के लिए 10 रुपए लिए जाते हैं। खास बात ये है कि पूरे देश में एक मात्र यही मंदिर है, जहां पाप मुक्ति का सर्टिफिकेट दिया जाता है। आदिवासियों के हरिद्वार के नाम से जाने जाने वाले प्रसिद्ध गौतमेश्वर महादेव मंदिर (Gautameshwar Mahadev Temple) में श्रद्धालु राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात महाराष्ट्र से यहां आते हैं। इस कुंड के पानी को गंगा जल समझकर अपने साथ भी ले जाते हैं।
ये हैं मंदिर से जुड़ी कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, सप्तऋषियों में से एक गौतम ऋषि (Gautam Rishi) पर भी गौ हत्या का कलंक लगा था। जब इस दोष से मुक्ति का कोई उपाय नहीं मिला तो उन्होंने इस कुंड में आकर स्नान किया, जिससे उन्हें गौ हत्या के पाप से मुक्ति मिल गई। मान्यता के अनुसार, जैसे गौतम ऋषि को इस मंदाकिनी कुंड में स्नान करने से मुक्ति मिली थी, वैसे ही भक्तों के सारे पाप भी यहां स्नान करने से खत्म हो जाते हैं।
कैसे पहुंचें?
सड़क-मार्ग
राजस्थान परिवहन निगम की और प्राइवेट बसें प्रतिदिन सभी प्रमुख गांवों के अलावा कई शहरों- मंदसौर (32), निम्बाहेडा(82), बांसवाड़ा (85), चित्तौडगढ़ (110), उदयपुर (145), जयपुर (419) और दिल्ली (705) के बीच चलती हैं।
रेलवे-मार्ग
रेल यातायात की व्यवस्था उपलब्ध नहीं है।
हवाई-मार्ग
यहाँ का निकटतम हवाईअड्डा 145 किलोमीटर दूर, डबोक, उदयपुर में है।