Ram Navami 2022: मुसीबत के समय किन 4 की होती है परीक्षा? ये हैं रामचरित मानस के लाइफ मैनेजमेंट

आज (10 अप्रैल, रविवार) चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि है। इस दिन श्रीराम नवमी (Ram Navami 2022) का उत्सव मनाया जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, त्रेतायुग में इसी तिथि पर भगवान विष्णु ने अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र राम के रूप में अवतार लिया था। भगवान

उज्जैन. श्रीराम के जीवन पर कई ग्रंथों की रचना की गई है। इनमें से सबसे अधिक प्रमाणिक ग्रंथ महर्षि वाल्मीकि (Maharishi Valmiki) द्वारा लिखित रामायण है, लेकिन सबसे ज्यादा प्रचलित ग्रंथ गोस्वामी तुलसीदास (Goswami Tulsidas) जी द्वारा लिखी गई रामचरित मानस है। रामचरित मानस (Ramcharit Manas) में गोस्वामी तुलसीदासजी ने लाइफ मैनेजमेंट के कई गहरे सूत्र बताए हैं, जो वर्तमान समय के लिए भी प्रासंगिक हैं। तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की एक चौपाई में बताया है कि विपरीत समय में हमारे किन गुणों और लोगों की परीक्षा होती है। आगे जानिए इस लाइफ मैनेजमेंट से जुड़ी खास बातें…   

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चौपाई
धीरज धर्म मित्र अरु नारी। आपद काल परिखिअहिं चारी।।
अर्थात- धीरज (धैर्य), धर्म, मित्र और पत्नी की परीक्षा कठिन समय में ही होती है।

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धीरज यानी धैर्य
जैसे ही जीवन में कोई परेशानी आती है लोग मदद के लिए ईधर-उधर भागने लगते हैं। उनके मन में अंजाना भय होता है। ऐसे में कई लोग गलत फैसला भी ले लेते हैं। यही वह समय होता है जब हमें धैर्य के साथ सोच-समझकर कोई कदम उठाना चाहिए। जल्दबाजी में लिया गया फैसला थोड़े समय के लिए हमारी परेशानी दूर कर सकता है, लेकिन भविष्य में बड़ी समस्या बन सकता है। इसलिए संकट की स्थिति में धैर्य के साथ काम लेना चाहिए। 

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धर्म यानी हमारे अच्छे काम
संकट के समय हमारे अच्छे काम भी हमारे साथ देते हैं। जैसे हम अगर किसी का अच्छा करेंगे तो वह व्यक्ति भी हमारे बुरे समय में हमारे साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा होगा। नहीं तो विपरीत स्थिति में हम अकेले ही परेशान होते रहेंगे और कोई भी हमारा साथ देने नहीं आएगा। इसलिए कहा जाता है कि अच्छे काम करते रहना चाहिए, समय आने पर उसका प्रतिफल हमें जरूर मिलता है।

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मित्र
दोस्त वो है जो बिना कुछ कहे भी हमारी परेशानी समझ ले और मदद के लिए आगे आ जाए। वैसे तो हम इंसान के हजारों दोस्त होते हैं, लेकिन सच्चा मित्र वही होता है जो संकट में हमारे साथ खड़ा रहे। भगवान श्रीराम के जीवन में कई सच्चे मित्रों का वर्णन मिलता है जैसे निषाधराज, सुग्रीव, विभीषण आदि। इन्होंने समय-समय पर मित्रता का आदर्श स्थापित किया है। 

पत्नी
धर्म ग्रंथों में पत्नी को अर्धांगिनी भी कहा गया है। यानी पति के शरीर का आधा अंग। विवाह के समय पति-पत्नी दोनों एक दूसरे का जीवन भर साथ निभाने का वचन देते हैं और इसे पूरा भी करते हैं। संकट के समय अगर कोई सबसे बड़ा सहारा होता है तो वो पत्नी होती है क्योंकि वही महारा मनोबल बढ़ाती है और संकट से बाहर निकालने में सहायता करती है।

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