Rangpanchami 2022: वसंत उत्सव का अंतिम दिन होता है रंगपंचमी, जानिए इससे जुड़ी मान्यताएं और परंपराएं

होली के 3 दिन बाद रंगपंचमी (Rangpanchami 2022) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये उत्सव 22 मार्च, मंगलवार को है। होली की तरह इस दिन भी लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर खुशियां मनाते हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि होली गुलाल से खेली जाती है और रंगपंचमी पक्के रंगों से।

Asianet News Hindi | Published : Mar 22, 2022 2:59 AM IST

उज्जैन. रंगपंचमी (Rangpanchami 2022) से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं हैं। इससे जुड़ी कई प्राचीन कथाएं भी है, जो इस त्योहार का महत्व बढ़ाती हैं। ऐसा कहा जाता है कि रंगपंचमी पर हवा में गुलाल उड़ाना चाहिए, इससे निगेटिव ताकतें कम हो जाती हैं। रंगपंचमी पर उड़ाए गए रंगों से इकट्ठा हुए शक्ति के कण बुरी शक्तियों से लड़ते हैं। इस त्योहार पर देवी-देवताओं का आवाहन भी किया जाता है और उनसे आशीर्वाद लिया जाता है। आगे जानिए इस त्योहार से जुड़ी और भी खास बातें…

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ये है रंगपंचमी से जुड़ा पौराणिक महत्व
मान्यता है कि त्रेतायुग की शुरुआत में ही भगवान विष्णु ने धूलि वंदन किया, अर्थात उस समय भगवान के तेज से ही अलग-अलग रंग निकले। वे रंग संसार में फैल गए और पूरी सृष्टि रंगीन हो गई। इसलिए माना जाता है कि रंगपंचमी पर अलग-अलग रंगों को हवा में उड़ाना धूलि वंदन होता है और ऐसा करने से भगवान खुश होते हैं।
 

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क्यों मनाते हैं रंगपंचमी?
प्राचीन समय में वंसतोत्सव के रूप में होली का त्योहार कई दिनों तक मनाया जाता था। जो कई दिनों तक चलता था। वर्तमान समय में ये संभव नहीं है जिसके चलते वसंतोत्सव का पहला दिन होली के रूप में अंतिम दिन रंगपंचमी का रूप में मनाया जाता है। इस दिन देवी-देवताओं की विशेष पूजा की जाती है। पकवान बनाकर भगवान को उनका भोग लगाया जाता है। 

इसलिए भी खास है ये त्योहार
पुराणों के अनुसार, जितने भी रंग इस दुनिया में विद्यामान है, वे सभी किसी न किसी दैवीय शक्ति का रूप है। जब हम उन रंगों से होली खेलते हैं या हवा में उड़ाते हैं तो वे शक्तियां जागृत होती हैं। इसी तरह शरीर के सात चक्र सात रंगों से संबंधित बताए गए हैं। इस तरह सभी देवताओं के तत्व शरीर में होने से आध्यात्मिक नजरिये से साधना पूरी मानी जाती है। इन रंगों के जरीये देव तत्व को महसूस करना ही रंग पंचमी पर्व का उद्देश्य है। 

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