संतान की लंबी आयु और रक्षा के लिए किया जाता है संतान सातें व्रत, 13 सितंबर को है ये पर्व

हिंदू पंचांग का छठा महीना भादौ है। इस महीने में हर दूसरे दिन कोई न कोई व्रत और त्योहार मनाया जाता है। गणेश उत्सव (Ganesh Utsav 2021) के दौरान कई प्रमुख पर्व मनाए जाते हैं। इसी क्रम में भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को महिलाओं द्वारा संतान सातें का व्रत किया जाता है।

उज्जैन. संतान सातें मुख्य रूप से राजस्थान का त्योहार है। इसे दुबड़ी सातें, दुबड़ी सप्तमी और संतान सप्तमी भी कहते हैं। यह त्योहार संतान की मंगलकामना के लिए किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि संतान सातें का व्रत करने से संतान की आयु लंबी होती है और बुरी शक्तियों से उसकी रक्षा होती है। इस बार यह पर्व 13 सितंबर, सोमवार को है। यह व्रत महिला प्रधान है। राजस्थान के आस-पास के क्षेत्रों में इस व्रत की बहुत मान्यता है।  

संतान की रक्षा के लिए किया जाता है ये व्रत
सप्तमी का व्रत संतान प्राप्ति, संतान का रक्षा और उन्नति के लिए ये व्रत किया जाता है। मान्यता अनुसार इस व्रत में प्रात:काल स्नान और नित्यक्रम क्रियाओं से निवृ्त होकर, स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। संपूर्ण घर और मंदिर में साफ़-सफाई कर श्री विष्णु और भगवान शिव की पूजा अर्चना करनी चाहिए। चंदन, अक्षत, धूप, दीप, नैवेध, सुपारी तथा नारियल आदि से शिव- पार्वती की पूजा करनी चाहिए। इस व्रत में खीर-पूरी तथा गुड के पुए का भोग भगवान को लगाया जाता हैं ।

इस विधि से करें व्रत व पूजा
- पूजा के लिए जमीन पर चौक बनाएं उस पर चौकी रखें और शंकर पार्वती की मूर्ति स्थापित करें।
- इसके बाद कलश की स्थापना करें, उसमें आम के पत्तों के साथ नारियल रखें।
- आरती की थाली तैयार करे, जिसमें हल्दी, कुंकुम, चावल, कपूर, फूल, कलावा आदि सामग्री रखें। भगवान के समक्ष दीपक जलाएं।
- अब 7 मीठी पूड़ी को केले के पत्ते में बांधकर उसे पूजा स्थान पर रखें और संतान की रक्षा व उन्नति के लिए प्रार्थना करते हुए भगवान शिव को कलावा अर्पित करें।
- बाद में कलावा धारण करने की भी प्रथा हैं यह व्रत माता और पिता दोनों के द्वारा किया जा सकता है।
 

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