भगवान शिव का एक नाम भोलेनाथ भी है। वे भोले इसलिए हैं क्योंकि उन्हें प्रसन्न करने के लिए किसी विशेष चीज की आवश्यकता नही होती। वे तो सिर्फ एक लोटा जल चढ़ाने से भी प्रसन्न हो जाते हैं। महादेव की कृपा पाने के लिए ये सबसे आसान तरीका है।
उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, शिवलिंग का जलाभिषेक करने से हर परेशानी से बचा जा सकता है। सावन (Sawan 2022) में शिवलिंग का जल से अभिषेक विशेष तौर पर किया जाता है। इस बार सावन मास की शुरूआत 14 जुलाई से हो चुकी है जो 11 अगस्त तक रहेगा। इस महीने में यदि रोज शिवलिंग का जल से अभिषेक किया जाए तो महादेव की भक्तों पर विशेष कृपा बनी रहती है। शिवजी का जलाभिषेक करते समय कुछ नियमों का ध्यान विशेष रूप से रखना चाहिए, आगे जानिए इन नियमों के बारे में…
किस धातु के बर्तन से चढ़ाएं जल?
भगवान शिव को जल चढ़ाते समय किस धातु का बर्तन का उपयोग करना चाहिए, ये जानना बहुत जरूरी है, नहीं तो अज्ञानता के कारण हमें अशुभ फलों का सामना करना पड़ सकता है। भगवान शिव का जलाभिषेक तांबे के बर्तन से करना शुभ माना जाता है, इसके अलावा चांदी या कांसे के बर्तन का उपयोग भी कर सकते हैं। लेकिन गलती से भी शिवजी का किसी स्टील के बर्तन से अभिषेक नहीं करना चाहिए। ऐसा करना शुभ नहीं माना जाता।
इस दिशा में खड़े होकर चढ़ाएं जल
शिवजी पर जल चढ़ाते समय मुख उत्तर की ओर हो तो शुभ रहता है। कभी भी पूर्व दिशा की ओर मुख करके जल नहीं चढ़ाना चाहिए, ऐसा करने से कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। मान्यता है कि उत्तर दिशा की ओर मुख करके शिवलिंग का अभिषेक करने से शिव-पार्वती दोनों को आशीर्वाद मिलता है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
इस मंत्र का करें जाप
शिवजी का अभिषेक करते समय मन एकदम शांत होना चाहिए और धीरे-धीरे जल चढ़ाते समय ऊं नम: शिवाय मंत्र का मन ही मन जाप करते रहें। ये काम करते समय किसी तरह की कोई बुरी भावना मन में नहीं होनी चाहिए तभी शिवजी के जलाभिषेक का पूरा फल मिलता है। इस बात का ध्यान रखें कि जो जल शिवजी पर चढ़ा रहे हैं वो किसी के पैरों में तो नहीं आ रहा।
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