हिमाचल (Himachal) के कुल्लू (Kullu) में स्थित बिजली महादेव (Bijli Mahadev Temple) का मंदिर बहुत विशेष है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर पर हर 12 साल में आकाशीय बिजली गिरती है, लेकिन इसके बाद भी मंदिर को कोई नुकसान नहीं होता।
उज्जैन. हमारे देश में महादेव के अनेक चमत्कारी मंदिर हैं, उन्हीं में से एक है हिमाचल (Himachal) के कुल्लू (Kullu) में स्थित बिजली महादेव (Bijli Mahadev Temple) का मंदिर। ऊंची पहाड़ियों पर स्थित इस मंदिर पर पार्वती और व्यास नदी का संगम भी है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर पर हर 12 साल में आकाशीय बिजली गिरती है, लेकिन इसके बाद भी मंदिर को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता। सावन (Sawan), महाशिवरात्रि (Mahashivratri) आदि अवसरों पर यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है। स्थानीय लोगों के साथ-साथ आस-पास के लोगों की भी इस मंदिर पर अटूट आस्था है।
ऐेसे होता है चमत्कार
पौराणिक कथा के अनुसार यहां की विशालकाय घाटी सांप के रूप में है, जिसका वध महादेव के द्वारा किया गया था। बताया जाता है कि हर 12 साल में भगवान इंद्र भोलेनाथ की आज्ञा लेकर इस स्थान पर बिजली गिराते हैं। बिजली के गिरने से मंदिर का शिवलिंग खंडित हो जाता है। इसके बाद मंदिर के पूजारी खंडित शिवलिंग पर मक्खन लगाते हैं और शिवलिंग अपने मूल स्वरूप में आ जाता है।
ये है इस मंदिर से जुड़ी कथा
- हिमाचल में स्थित शिव के इस पावन धाम के बारे में लोगों का मानना है कि यहां पर कई हजार साल पहले कुलान्तक नाम का दैत्य रहा करता था। एक बार अजगर की तरह दिखने वाले इस दैत्य ने जब व्यास नदी के प्रवाह को रोककर घाटी को जलमग्न करना चाहा।
- जब यह बात भगवान महादेव को मालूम चली तो उन्होंने अपने त्रिशूल से कुलांतक का वध कर दिया। मान्यता है कि मरने के बाद कुलांतक का शरीर एक पहाड़ में बदल गया। मान्यता है कि कुलांतक के नाम का अपभ्रंश ही कुल्लू है।
- शिवजी ने उस दैत्य का वध करने के बाद इंद्र देव को आदेश दिया कि इस दैत्य के शरीर पर हर 12 साल बाद यहां पर आकाशीय बिजली गिराए। तब से आज तक यह परंपरा चमत्कारिक रूप से बनी हुई है।
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