सावन: भगवान शिव को क्यों चढ़ाते हैं भांग-धतूरा, जानें शिव जी से जुड़े मैनेजमेंट के सूत्र

शिवजी की कई बातें उन्हें अन्य देवताओं से अलग बनाती हैं, इन बातों में लाइफ मैनेजमेंट के कई सूत्र छिपे हैं।

Asianet News Hindi | Published : Aug 11, 2019 12:35 PM IST

उज्जैन. भगवान शिव एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनको भांग-धतूरा चढ़ाया जाता है। ऐसी और न जाने कितनी बातें हैं जो शिवजी को अन्य देवताओं से अलग बनाती है। दिखने में ये सभी चीजें असामान्य हैं, लेकिन इन सभी के पीछे लाइफ मैनेजमेंट के अनेक सूत्र छिपे हैं। आज हम आपको उन्हीं सूत्रों के बारे में बता रहे हैं-

भगवान शिव को क्यों चढ़ाते हैं भांग-धतूरा?
भगवान शिव को भांग-धतूरा मुख्य रूप से चढ़ाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान को भांग-धतूरा चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं। भांग व धतूरा नशीले पदार्थ हैं। आमजन इनका सेवन नशे के लिए करते हैं। लाइफ मैनेजमेंट के अनुसार, भगवान शिव को भांग-धतूरा चढ़ाने का अर्थ है अपनी बुराइयों को भगवान को समर्पित करना। यानी अगर आप किसी प्रकार का नशा करते हैं तो इसे भगवान को अर्पित करे दें और भविष्य में कभी भी नशीले पदार्थों का सेवन न करने का संकल्प लें। ऐसा करने से भगवान की कृपा आप पर बनी रहेगी और जीवन सुखमय होगा।

भगवान शिव को क्यों चढ़ाते हैं बिल्व पत्र?
शिवपुराण आदि ग्रंथों में भगवान शिव को बिल्व पत्र चढ़ाने का विशेष महत्व बताया गया है। 3 पत्तों वाला बिल्व पत्र ही शिव पूजन में उपयुक्त माना गया है। यह भी ध्यान रखना चाहिए कि बिल्वपत्र के तीनों पत्ते कहीं से कटे-फटे न हो।
लाइफ मैनेजमेंट के दृष्टिकोण से देखा जाए तो बिल्व पत्र के ये तीन पत्ते चार पुरुषार्थों में से तीन का प्रतीक हैं- धर्म, अर्थ व काम। जब आप ये तीनों निस्वार्थ भाव से भगवान शिव को समर्पित कर देते हैं तो चौथा पुरुषार्थ यानी मोक्ष अपने आप ही प्राप्त हो जाता है।

कैलाश पर्वत क्यों है भगवान शिव को प्रिय?
शिवपुराण के अनुसार, भगवान शिव कैलाश पर्वत पर निवास करते हैं। पर्वतों पर आम लोग नहीं आते-जाते। सिद्ध पुरुष ही वहां तक पहुंच पाते हैं। भगवान शिव भी कैलाश पर्वत पर योग में लीन रहते हैं। लाइफ मैनेजमेंट की दृष्टि से देखा जाए तो पर्वत प्रतीक है एकांत व ऊंचाई का। यदि आप किसी प्रकार की सिद्धि पाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको एकांत स्थान पर ही साधना करनी चाहिए। ऐसे स्थान पर साधना करने से आपका मन भटकेगा नहीं और साधना की उच्च अवस्था तक पहुंच जाएगा।

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