इस देवी मंदिर में है 51 फीट ऊंचे दीप स्तंभ, जान जोखिम में डालकर इन्हें कैसे जलाते हैं? देखें वीडियो में

Published : Oct 02, 2022, 04:04 PM ISTUpdated : Oct 02, 2022, 04:44 PM IST
इस देवी मंदिर में है 51 फीट ऊंचे दीप स्तंभ, जान जोखिम में डालकर इन्हें कैसे जलाते हैं? देखें वीडियो में

सार

Sharadiya Navratri 2022: हमारे देश में देवी के कई चमत्कारी और प्रसिद्ध मंदिर हैं। इन सभी से कोई न कोई मान्यता जुड़ी है। मध्य प्रदेश के उज्जैन में भी देवी का ऐसा ही एक प्राचीन मंदिर है , जिसे हरसिद्धि माता मंदिर कहते हैं।   

उज्जैन. उज्जैन को मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी कहा जाता है क्योंकि यहां 12 ज्योतिर्लिगों में से एक महाकालेश्वर और 52 शक्तिपीठों में से एक 1 हरसिद्धि स्थित है। नवरात्रि के दिनों में हरसिद्धि मंदिर (Harsiddhi Temple Ujjain) में भक्तों का तांता लगा रहता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस स्थान पर देवी सती की कोहनी गिरी थी। कहते हैं कि देवी हरसिद्धि राजा विक्रमादित्य की कुलदेवी हैं, जिनका शासन कभी पूरे भारतवर्ष पर था। और भी कई बातें इस मंदिर को खास बनाती है जैसे मंदिर प्रांगण में स्थित 2 दीप स्तंभ।  



51 फीट ऊंचे हैं ये दीप स्तंभ
हरसिद्धि मंदिर प्रबंध समिति के अनुसार, पहले केवल नवरात्रि में तथा प्रमुख त्योहारों पर ही दीप स्तंभ जलाए जाते थे, लेकिन श्रृद्धालुओं का सहयोग मिलने से हर रोज ये दीप स्तंभ जलाए जाते हैं। इन दीप स्तंभों की ऊंचाई लगभग 51 फीट है। दोनों दीप स्तंभों  में 1 हजार से अधिक दीपक हैं। ये दीप स्तंभ किसने बनवाए, इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है। इन दीप स्तंभों को शिव और शक्ति का प्रतीक माना जाता है।



कितना तेल और रूई लगती है इन्हें जलाने में?
उज्जैन निवासी जोशी परिवार लगभग 100 सालों से इन दीप स्तंभों को रोशन कर रहा है। वर्तमान में मनोहर व राजेंद्र जोशी इस परंपरा को बनाए हुए हैं। इनके साथ और भी कई साथी होते हैं जो इस मुश्किल काम को बड़े ही सहज रूप से अंजाम देते हैं। दोनों दीप स्तंभों को एक बार जलाने में लगभग 4 किलो रूई की बाती व 60 लीटर तेल लगता है। कोई आम आदमी भी हरसिद्धि मंदिर प्रबंध समिति में बुकिंग करवाकर ये दीप स्तंभ जलवा सकता है। कई बार श्रृद्धालु की बारी आते-आते महीनों लग जाते हैं। 

पहले यहां दी जाती थी भैंसे की बलि
मंदिर प्रांगण में स्थित शिलालेखों के पता चलता है कि किसी समय यहां भैसों की बलि दी जाती थी लेकिन कालांतर में ये प्रथा बंद हो गई है। इस मंदिर से जुड़ी एक किवदंती ये भी है कि राजा विक्रमादित्य ने यहां कई बार अपना सिर काटकर माता को चढ़ाया था, लेकिन माता की कृपा से उनका सिर फिर से जुड़ा जाता था। रात को हरसिद्धि मंदिर में श्रीसूक्त और वेदोक्त मंत्रों के साथ तांत्रिक पूजा की जाती है। दूर-दूर से यहां तांत्रिक माता के दर्शन करने आते हैं।

कैसे पहुचें?
- भोपाल-अहमदाबाद रेलवे लाइन पर स्थित उज्जैन एक पवित्र धार्मिक नगरी है। ट्रेन के माध्यम से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।
- उज्जैन का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट इंदौर में है, जो यहां से 55 किलोमीटर दूर है। इंदौर से उज्जैन जाने के लिए बसें भी आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं।
- मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरों से भी सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है।


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