Sheetala puja 2022: 24 और 25 मार्च को किया जाएगा शीतला माता का व्रत और पूजा, ये है विधि, मंत्र और महत्व

धर्म ग्रंथों के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को शीतला सप्तमी (Sheetala Saptami 2022) का व्रत किया जाता है। इस दिन देवी शीतला की पूजा की जाती है। वहीं कुछ स्थानों पर शीतला अष्टमी का पर्व मनाया जाता है।

उज्जैन. इस बार शीतला सप्तमी का पर्व 24 मार्च, गुरुवार और शीतला अष्टमी (Sheetala Ashtami 2022) का पर्व 25 मार्च, शुक्रवार को मनाय जाएगा। चूंकि इस व्रत में एक दिन पहले बनाया हुआ भोजन किया जाता है, इसलिए इसे बसौड़ा, बसियौरा व बसोरा भी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन ठंडा भोजन करने से ठंड से होने वाली बीमारियां नहीं होती। और भी कई मान्यताएं इस पर्व से जुड़ी हैं जो इसे और भी खास बनाती हैं।

ये भी पढ़ें- Rangpanchami 2022: रंगपंचमी पर इस मंदिर में लगता है ‘करीला मेला’, यहां देवी सीता के साथ होती है लव-कुश की पूजा

इस विधि से करें ये व्रत
- व्रती (व्रत करने वाली महिलाएं) को इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करना चाहिए। इसके बाद ये मंत्र बोलकर संकल्प लें-
मम गेहे शीतलारोगजनितोपद्रव प्रशमन पूर्वकायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धियेशीतला सप्तमी/अष्टमी व्रतं करिष्ये
- संकल्प के बाद विधि-विधान से माता शीतला की पूजा करें। इसके बाद एक दिन पहले बनाए हुए (बासी) खाद्य पदार्थों, मेवे, मिठाई, पूआ, पूरी, दाल-भात आदि का भोग लगाएं।
- शीतला स्तोत्र का पाठ करें, शीतला माता की कथा सुनें व जगराता करें। इस दिन व्रती तथा उसके परिवार के किसी अन्य सदस्य को भी गर्म भोजन नहीं करना चाहिए।

ये भी पढ़ें- 23 मार्च को उदय होगा गुरु, शिक्षा के मामलों में होंगे बड़े बदलाव, इन 3 राशि वालों का शुरू हो सकता है बुरा समय
 

शीतला सप्तमी की कथा इस प्रकार है-
किसी गांव में एक महिला रहती थी। वह शीतला माता की भक्त थी तथा शीतला माता का व्रत करती थी। उसके गांव में और कोई भी शीतला माता की पूजा नहीं करता था। एक दिन उस गांव में किसी कारण से आग लग गई। उस आग में गांव की सभी झोपडिय़ां जल गई, लेकिन उस औरत की झोपड़ी सही-सलामत रही। सब लोगों ने उससे इसका कारण पूछा तो उसने बताया कि मैं माता शीतला की पूजा करती हूं। इसलिए मेरा घर आग से सुरक्षित है। यह सुनकर गांव के अन्य लोग भी शीतला माता की पूजा करने लगे।

ये भी पढ़ें- Chaitra Navratri 2022: चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल से, पहले दिन इस विधि से करें कलश स्थापना, जानिए शुभ मुहूर्त भी

शीतला सप्तमी का महत्व
शीतला सप्तमी का व्रत करने से शीतला माता प्रसन्न होती हैं तथा जो यह व्रत करता है, उसके परिवार में दाहज्वर, पीतज्वर, दुर्गंधयुक्त फोड़े, नेत्र के समस्त रोग तथा ठंड के कारण होने वाले रोग नहीं होते। शीतला देवी के स्वरूप का शीतला स्तोत्र में इस प्रकार वर्णन किया गया है-
वन्देहं शीतलां देवीं रासभस्थां दिगम्बराम्।
मार्जनीकलशोपेतां शूर्पालड्कृतमस्तकाम्।।
इस व्रत की विशेषता है कि इसमें शीतला देवी को भोग लगाने वाले सभी पदार्थ एक दिन पूर्व ही बना लिए जाते हैं और दूसरे दिन इनका भोग शीतला माता को लगाया जाता है। इसीलिए इस व्रत को बसोरा भी कहते हैं। मान्यता के अनुसार इस दिन घरों में चूल्हा भी नहीं जलाया जाता यानी सभी को एक दिन बासी भोजन ही करना पड़ता है।

Latest Videos

करें इस मंत्र का जाप
- शीतला सप्तमी के दिन किसी साफ स्थान पर तुलसी की माला से नीचे लिखे मंत्र का जाप करें-
वन्देऽहं शीतलां देवीं रासभस्थां दिगम्बरराम्,
मार्जनीकलशोपेतां शूर्पालंकृतमस्तकाम्।
- सामने शीतला माता का चित्र हो तो शुभ रहेगा। इस मंत्र का कम से कम 5 माला जाप अवश्य करें।
- मान्यता है कि ऋतु परिवर्तन के कारण इस समय बीमारियां होने की संभावना सबसे अधिक होती है। देवी शीतला की पूजा से शीत से संबंधित बीमारियां नहीं होती।
 

ये भी पढ़ें...

23 मार्च को उदय होगा गुरु, शिक्षा के मामलों में होंगे बड़े बदलाव, इन 3 राशि वालों का शुरू हो सकता है बुरा समय

कर्नाटक में गीता पर बवाल, इसके हर श्लोक में छिपा है परेशानियों का हल, ये हैं 5 लाइफ मैनजमेंट सूत्र

9 ग्रहों में से कौन-से ग्रह हमेशा टेढ़ी चाल चलते हैं और कौन-से ग्रहों की चाल में परिवर्तन होता रहता है?

काशी में जलती चिताओं के बीच मुर्दों की राख से खेली गई होली, इस परंपरा में छिपा है गहरा ‘रहस्य’?
 

Share this article
click me!

Latest Videos

Maharashtra Election 2024: 'कटेंगे-बटेंगे' के खिलाफ बीजेपी में ही उठने लगे सवाल। Pankaja Munde
UPPSC Student Protest: प्रयागराज में क्या है छात्रों की प्रमुख मांग, चौथे भी डटे हुए हैं अभ्यर्थी
'मुझे लव लेटर दिया... वाह मेरी महबूबा' ओवैसी का भाषण सुन छूटी हंसी #Shorts
पनवेल में ISKCON में हुआ ऐसा स्वागत, खुद को रोक नहीं पाए PM Modi
कागजों पर प्लान, सिर्फ ऐलान... क्यों दिल्ली-NCR को नहीं मिल रही धुआं-धुआं आसमान से मुक्ति?