श्राद्ध पक्ष में दान करने से मिलती है पितृ दोष से मुक्ति, ग्रंथों में इन चीजों का दान माना गया है विशेष

इस बार 6 अक्टूबर को सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या (Sarva Pitru Moksha Amavasya 2021) के साथ ही पितृ पक्ष (Shradh Paksha 2021) भी समाप्त हो जाएगा। इस दौरान पिंडदान, तर्पण और पंचबली के साथ श्राद्ध करने से पितृ संतुष्ट होते हैं।

Asianet News Hindi | Published : Sep 30, 2021 1:12 PM IST

उज्जैन. श्राद्ध पक्ष में कई तरह के दान करने की भी परंपरा है, जो धर्म ग्रंथों में बताए गए हैं। ग्रंथों में मृतात्मा और पितरों की संतुष्टि के लिए जो दान बताए हैं उनमें से कई चीजें आसानी से घर में मिल जाती हैं।इन चीजों का दान करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और हमारे पितृ प्रसन्न होते हैं। 

पितृ दोष से मुक्ति और आर्थिक संपन्नता के लिए दान
पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार, श्राद्ध पक्ष में किए गए दान से पितर संतुष्ट तो होते हैं। इससे पितृ दोषों से मुक्ति मिलने लगती है। साथ ही आर्थिक संपन्नता भी मिलती है। पितरों के लिए जो चीजें दान करनी चाहिए उनका वर्णन पुराणों और अन्य धर्म ग्रंथों में मिलता है। इनमें से ज्यादातर चीजें हर घर में आसानी से मिल जाती हैं।

ग्रंथों में बताए गए आठ और दस महादान
निर्णयसिंधु और गरुड़ पुराण में महादान की जानकारी दी गई है। इन ग्रंथों में बताया गया है कि श्राद्ध या मृत्यु के बाद कौन सी चीजों का दान किया जाना चाहिए, जिससे पितरों को संतुष्टि मिले। इसके लिए इन ग्रंथों में दस तरह के महादान बताए गए हैं। लेकिन इतना न कर पाएं तो आठ तरह की खास चीजों का दान कर के ही अष्ट महादान का भी पुण्य मिल जाता है।

दस महादान
गोभूतिलहिरण्याज्यं वासो धान्यं गुडानि च ।
रौप्यं लवणमित्याहुर्दशदानान्यनुक्रमात्॥ - निर्णय सिन्धु ग्रंथ

अर्थ - गाय, भूमि, तिल, सोना, घी, वस्त्र, धान्य, गुड़, चांदी और नमक इन दस चीजों का दान दश महादान कहलाता है। यह दान पितरों के निमित्त दिया जाता है। किसी कारण से मृत्यु के वक्त न किया जा सके तो श्राद्ध पक्ष में इन चीजों का दान करने का विधान बताया गया है।

अष्ट महादान
तिला लोहं हिरण्यं च कार्पासो लवणं तथा।
सप्तधान्यं क्षितिर्गावो ह्येकैकं पावनं स्मृतम्॥ - गरुड़ पुराण
अर्थ - तिल, लोहा, सोना, कपास, नमक, सात तरह के धान, भूमि और गाय। इन आठ का दान करना ही अष्ट महादान कहलाता है। इस तरह का महादान पितरों को संतुष्टि देने वाला होता है।

श्राद्ध पक्ष के बारे में ये भी पढ़ें 

इंदिरा एकादशी 2 अक्टूबर को, ये व्रत करने से पितरों को मिलता है मोक्ष, जानिए विधि और शुभ मुहूर्त

सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर करें ये आसान उपाय, कम हो सकता है कालसर्प दोष का अशुभ प्रभाव

गुजरात का पिण्डारक भी है श्राद्ध के लिए प्रसिद्ध तीर्थ, यहां पिंड पानी में डूबते नहीं बल्कि तैरते हैं

1 अक्टूबर को शुक्र पुष्य के शुभ योग में ये करें ये खास उपाय, इससे प्रसन्न होंगे पितृ देवता

1 नहीं 12 प्रकार के होते हैं श्राद्ध, जानिए किस समय और उद्देश्य से कौन-सा श्राद्ध किया जाता है

मातृ नवमी 30 सितंबर को: करें विवाहित मृत महिलाओं का श्राद्ध और ये आसान उपाय, दूर होंगी परेशानियां

Share this article
click me!