शुक्र नीति: पत्नी सहित इन 2 को दूसरे के भरोसे कभी नहीं छोड़ना चाहिए, जानिए क्यों?

धर्म ग्रंथों के अनुसार, शुक्राचार्य दैत्यों के गुरु थे। उन्हीं की नीतियों और मार्गदर्शन पर चलकर दैत्यों ने देवताओं को भी कई बार परास्त किया। 

उज्जैन. शुक्राचार्य की नीतियां आज के समय में भी प्रासंगिक है। शुक्राचार्य ने अपनी 1 नीति में बताया है कि किन 3 को दूसरों के भरोसे नहीं छोड़ना चाहिए, नहीं तो ये 3 नष्ट या भ्रष्ट हो जाती हैं।

श्लोक
पराधीनं नैव कुय्यार्त तरुणीधनपुस्तकम्।
कृतं चेल्लभ्यते दैवाद भ्रष्टं नष्टं विमिर्दितम्।।

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अर्थात- पत्नी, पैसा और पुस्तक को दूसरों के हवाले नहीं करना चाहिए। नहीं तो ये सभी नष्ट और भ्रष्ट हो सकती हैं।

1. पत्नी को किसी के भरोसे न छोड़ें
शुक्राचार्य के अनुसार, भूलकर भी अपने पत्नी को किसी दूसरे पुरुष के आश्रित नहीं छोड़ना चाहिए। परपुरुष ऐसी स्थिति का फायदा उठा सकता है और पत्नी को बहला-फुसला कर या डर दिखाकर पथभ्रष्ट कर सकता है।

2. अपना धन किसी को न दें
पैसों के मामले में किसी भी दूसरे व्यक्ति पर भरोसा नहीं करना चाहिए। धन के मामले में लोगों की नियत बदलते देर नहीं लगती है इसलिए अपने हर लेन-देन का लेखा-जोखा अपने पास रखना चाहिए। दूसरे के सहारे धन छोड़ने पर नुकसान आपका ही होता है।

3. अपने पुस्तकें किसी को न दें
शुक्राचार्य के मुताबिक पुस्तक ज्ञान का स्रोत है और इसे दूसरों के हाथ में नहीं देना चाहिए। आप अपनी पुस्तक का जितना अच्छे से ख्याल रखेंगे, उतना कोई दूसरा व्यक्ति नहीं रख सकता है। कई मामलों में आपको अपनी पुस्तक वापस नहीं मिलेगी और अगर मिल भी जाती है तो उसकी स्थिति पहले जैसी ठीक नहीं होगी। दूसरों को पुस्तक देने से उसकी क्षति की संभावना बनी रहती है।
 

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