Devi Ki Kathaye: देवी ने कब-कब कौन-सा अवतार लिया? असुर ही नहीं देवताओं को भी सिखाया सबक

Navratri 2022: धर्म ग्रंथों में देवी दुर्गा के कई अवतारों के बारे में बताया गया है। इन अवतारों की कथा सुनने से भी शुभ फल मिलते हैं। नवरात्रि के दौरान देवी के इन अवतारों की पूजा भी जरूर करनी चाहिए।
 

Manish Meharele | Published : Sep 29, 2022 12:02 PM IST

उज्जैन. जब-जब किसी पापी ने धर्म को हानि पहुंचाने का प्रयास किया है, तब-तब देवी दुर्गा ने अलग-अलग रूपों में अवतार लेकर उसका सर्वनाश किया है। देवी के इन अवतारों की कहानियां कई धर्म ग्रंथों में मिलती है। देवी के इन अवतारों की कहानियां बहुत ही रोचक हैं। नवरात्रि (इस बार 26 सितंबर से 4 अक्टूबर) के दौरान देवी के इन अवतारों के बारे में हम सभी को जरूर जानना चाहिए। आगे जानिए देवी के इन अवतारों की कहानियां…

असंख्य आंखों के साथ प्रकट हुई थीं शाकंभरी
एक बार धरती पर कई सालों तक बारिश नहीं हुई, जिसके चलते यहां सूखा और अकाल पड़ गया है। धरती पर रहने वाले सभी प्राणी पानी की एक-एक बूंद को तरसने लगे, तब अपने भक्तों का दुख दूर करने के लिए देवी ने शाकंभरी अवतार लिया। इस अवतार में देवी के शरीर पर हजारों आंखें थी। देवी ने लगातार नौ दिनों तक अपनी हजारों आंखों से आंसुओं की बारिश की, जिससे पृथ्वी पर फिर से हरियाली छा गई। शाकंभरी को ही शताक्षी नाम से भी जाना जाता है। 

जब देवी ने लिया भ्रामरी देवी का अवतार
अरुण नाम का एक दैत्य वरदान पाकर बहुत शक्तिशाली हो गया। उसका आतंक बढ़ने लगा और सभी देवता उससे त्रस्त होने लगे। तब देवताओं ने मिलकर देवी शक्ति की आवाहन किया। प्रसन्न होकर देवी ने भ्रामरी रूप में अवतार लिया। देवी चारों ओर से असंख्य भ्रमरों यानी एक विशेष प्रकार की बड़ी मधुमक्खी से घिरी हुई थीं। देवी ने अपने भ्रमरों को अरुण को मारने का आदेश दिया। कुछ ही पलों में भ्रमरों ने दैत्य अरुण के वध कर दिया।

ऐसे हुआ मां चामुंडा का अवतार
प्राचीन कथाओं के अनुसार, शुंभ-निशुंभ नाम के दो असुरों ने स्वर्ग पर आक्रमण कर दिया। तब देवता देवी पार्वती की शरण में गए। तब देवी ने कालिका के रूप में रूप लिया और शुभ-निशुंभ के साथ-साथ उनके पराक्रमी योद्धाओं चंम-मुंड का भी नाश कर दिया। चंड-मुंड का वध करने के चलते ही देवी का एक नाम चामुंडा प्रसिद्ध हुआ। इसके बाद देवी ने रक्तबीज नाम के एक महाभयनक राक्षस का भी वध किया।

जब देवी ने लिया योगमाया अवतार
जब भगवान श्रीकृष्ण ने कंस के कारागार में जन्म लिया, उसी समय देवी शक्ति ने यशोदा के गर्भ से योगमाया के रूप में जन्म लिया। वसुदेव कंस के कारागार से बालक कृष्ण को लेकर गोकुल पहुंचे और वहां से नन्हीं बालिका को उठाकर कारागार में ले आए। कंस को जब इस बात का पता चला तो उसने नन्ही बालिका को उठा लिया और जैसे ही मारने की कोशिश की तो वह बालिका उसके हाथ से छूटकर देवी अपने मूल स्वरूप में गई। योगमाया देवी का एक नाम मां विंध्यवासिनी भी है।

जब माता दुर्गा ने तोड़ा देवताओं का घमंड
एक बार देवताओं को अपनी शक्ति पर घमंड हो गया। तब माता एक तेजपुंज के रूप में प्रकट हुईं और देवताओं के सामने एक तिनका रखकर उसे उड़ाने की चुनौती दी। पूरी ताकत लगाने के बाद भी पवनदेव, अग्निदेव और देवराज इंद्र भी उस तिनके को अपनी जगह से हिला नहीं पाए। ये देख देवताओं का घमंड चूर-चूर हो गया। तब सभी देवताओं ने मिलकर उस तेजपुंज की पूजा की। प्रसन्न होकर देवी प्रकट हुईं और देवताओं को घमंड न करने की सलाह दी।



ये भी पढ़ें-

Navratri 2022: इस मुस्लिम देश में है देवी का ऐतिहासिक मंदिर, यहां रामायण को कहते हैं ‘काकविन’


Navratri Rashi Anusar Upay: देवी को राशि अनुसार चढ़ाएं फूल, मिलेंगे शुभ फल और दूर होंगे ग्रहों के दोष

Dussehra 2022: पूर्व जन्म में कौन था रावण? 1 नहीं 3 बार उसे मारने भगवान विष्णु को लेने पड़े अवतार
 

Share this article
click me!