16 जुलाई से सूर्य हुआ दक्षिणायन, इसे पितृयान भी कहते हैं, जानिए क्या है इसका महत्व

16 जुलाई, गुरुवार से सूर्य कर्क राशि में आ चुका है। सूर्य के राशि बदलते ही दक्षिणायन शुरू हो चुका है।

Asianet News Hindi | Published : Jul 18, 2020 1:32 AM IST

उज्जैन. दक्षिणायन अगले 6 महीने यानी मकर संक्रांति तक रहेगा। हिंदू कैलेंडर के श्रावण महीने से पौष मास तक सूर्य का उत्तरी छोर से दक्षिणी छोर तक जाना दक्षिणायन होता है। काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्र के अनुसार, ज्योतिष और धर्म ग्रंथों के अनुसार दक्षिणायन का प्रारंभ देवताओं का मध्याह्न होता है और उत्तरायन के प्रारंभ का समय देवताओं की मध्यरात्रि कहलाता है। इस तरह वैदिक काल से ही उत्तरायण को देवयान और दक्षिणायन को पितृयान कहा जाता रहा है।

दक्षिणायन के 4 महीनों में नहीं किए जाते शुभ काम
- हिंदू कैलेंडर के श्रावण, भाद्रपद, अश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष और पौष ये 6 महीने दक्षिणायन में आते हैं।
- इनमें से शुरुआती 4 महीने किसी भी तरह के शुभ और नए काम नहीं करना चाहिए।
- इस दौरान देवशयन होने के कारण दान, पूजन और पुण्य कर्म ही किए जाने चाहिए।
- इस समय में भगवान विष्णु के पूजन का खास महत्व होता है और यह पूजन देवउठनी एकादशी तक चलता रहता है क्योंकि विष्णु देव इन 4 महीनों के लिए क्षीर सागर में योग निद्रा में शयन करते हैं।
- इसके अलावा उत्तर भारत में आश्विन कृष्ण पक्ष में पितृ पूजा करने का महत्व होता है।
 

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