कुरुक्षेत्र में 18 दिन तक चला था महाभारत का युद्ध, जानिए किस दिन क्या हुआ

महाभारत का युद्ध लगातार 18 दिनों तक चला था। इस युद्ध में कौरव और पांडवों की ओर से अलग-अलग देशों के राजाओं ने भी हिस्सा लिया था। अरबों लोग इस युद्ध में मारे गए, जो उस समय की बहुत बड़ी आबादी थी। आाज हम आपको बता रहे हैं कि 18 दिनों तक चलने वाले इस युद्ध में किस दिन क्या घटनाक्रम हुआ…

Asianet News Hindi | Published : Dec 8, 2020 3:45 AM IST

उज्जैन. महाभारत का युद्ध लगातार 18 दिनों तक चला था। इस युद्ध में कौरव और पांडवों की ओर से अलग-अलग देशों के राजाओं ने भी हिस्सा लिया था। अरबों लोग इस युद्ध में मारे गए, जो उस समय की बहुत बड़ी आबादी थी। आाज हम आपको बता रहे हैं कि 18 दिनों तक चलने वाले इस युद्ध में किस दिन क्या घटनाक्रम हुआ…

पहला दिन

युद्ध के पहले दिन पांडव पक्ष को भारी हानि हुई थी। विराट नरेश के पुत्र उत्तर और श्वेत को शल्य और भीष्म ने मार दिया था। भीष्म ने पांडवों के कई सैनिकों का वध कर दिया था। ये दिन कौरवों के लिए उत्साह बढ़ाने वाला और पांडव के लिए निराशाजनक था।

दूसरा दिन

दूसरे दिन पांडवों को अधिक नुकसान नहीं हुआ । द्रोणाचार्य ने धृष्टद्युम्न को कई बार हराया। भीष्म ने अर्जुन और श्रीकृष्ण को कई बार घायल किया। भीम ने हजारों कलिंग और निषाद मार गिराए। अर्जुन ने भीष्म को रोके रखा।

तीसरा दिन

तीसरे दिन भीम ने घटोत्कच के साथ मिलकर दुर्योधन की सेना को युद्ध से भगा दिया। इसके बाद भीष्म भीषण संहार मचा दिया। श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भीष्म का वध करने को कहा, लेकिन अर्जुन उत्साह से युद्ध नहीं कर पाए, जिसके कारण श्रीकृष्ण स्वयं ही भीष्म को मारने दौड़ पड़े। तब अर्जुन ने उन्हें भरोसा दिलाया कि वे पूरे उत्साह से युद्ध लड़ेंगे।

चौथा दिन

इस दिन कौरव अर्जुन को रोक नहीं सके। भीम ने कौरव सेना में हाहाकार मचा दिया। दुर्योधन ने अपनी गजसेना भीम को मारने के लिए भेजी, लेकिन घटोत्कच के साथ मिलकर भीम ने उन सबको मार दिया। भीष्म से अर्जुन और भीम का भयंकर युद्ध हुआ।

पांचवां दिन

युद्ध के पांचवें दिन भीष्म ने पांडव सेना में खलबली मचा दी। भीष्म को रोकने के लिए अर्जुन और भीम ने उनसे युद्ध किया। भीष्म ने सात्यकि को युद्ध से भागने के लिए मजबूर कर दिया।

छठा दिन

इस दिन भी दोनों पक्षों के बीच भयंकर युद्ध हुआ। दुर्योधन क्रोधित होता रहा, लेकिन भीष्म उसे आश्वासन देते रहे और पांचाल सेना का संहार कर दिया।

सातवां दिन

सातवें दिन अर्जुन कौरव सेना पर हावी हो गए। धृष्टद्युम्न ने दुर्योधन को युद्ध में हरा दिया। दिन के अंत में भीष्म पांडव सेना पर हावी हो गए।

आठवां दिन

आठवें दिन भीम ने धृतराष्ट्र के आठ पुत्रों का वध कर दिया। राक्षस अम्बलुष ने अर्जुन के पुत्र इरावान का वध कर दिया। भीष्म की आज्ञा से भगदत्त ने घटोत्कच, भीम, युधिष्ठिर व अन्य पांडव सैनिकों को पीछे ढकेल दिया। दिन के अंत तक भीम ने धृतराष्ट्र के नौ और पुत्रों का वध कर दिया।

नौवें दिन

नौवें दिन युद्ध में भीष्म को रोकने के लिए श्रीकृष्ण को अपनी प्रतिज्ञा तोड़नी पड़ती है और वे शस्त्र उठा लेते हैं। इस दिन भीष्म पांडवों की सेना का अधिकांश भाग समाप्त कर देते हैं।

दसवां दिन

इस दिन पांडव श्रीकृष्ण के कहने पर भीष्म से उनकी मुत्यु का उपाय पूछते हैं। भीष्म के बताए उपाय के अनुसार अर्जुन शिखंडी को आगे करके भीष्म पर प्रहार करते हैं। अर्जुन के बाणों से भीष्म बाणों की शय्या पर लेट जाते हैं।

ग्याहरवां दिन

ग्याहरवें दिन कर्ण युद्ध में आते हैं। कर्ण के कहने पर द्रोणाचार्य को सेनापति बनाया जाता है। द्रोणचार्य युधिष्ठिर को बंदी बनाने की योजना बनाते हैं, लेकिन अर्जुन उसे पूरी नहीं होने देता। कर्ण भी पांडव सेना का भारी संहार करते हैं।

बारहवां दिन

युधिष्ठिर को बंदी बनाने के लिए शकुनि और दुर्योधन अर्जुन को युधिष्ठिर से काफी दूर भेजने में कामयाब हो जाते हैं, लेकिन अर्जुन समय पर पहुंचकर युधिष्ठिर को बंदी बनने से बचा लेते हैं।

तेरहवां दिन

इस दिन अर्जुन भगदत्त का वध कर देते हैं। द्रोणचार्य युधिष्ठिर के लिए चक्रव्यूह रचते हैं, इस चक्रव्यूह में फंसकर अभिमन्यु मारा जाता है। पुत्र अभिमन्यु का अन्याय पूर्ण तरीके से वध हुआ देखकर अर्जुन अगले दिन जयद्रथ वध करने की प्रतिज्ञा ले लेता है और ऐसा न कर पाने पर अग्नि समाधि लेने को कह देता है।

चौदहवां दिन

अर्जुन की अग्नि समाधि वाली बात सुनकर कौरव जयद्रथ को बचाने की योजना बनाते हैं। द्रोण जयद्रथ को बचाने के लिए उसे सेना के पिछले भाग मे छिपा देते है, लेकिन श्रीकृष्ण द्वारा किए गए सूर्यास्त के कारण जयद्रथ बाहर आ जाता है और अर्जुन और वध कर देते हैं। इसी दिन द्रोण द्रुपद और विराट को मार देते हैं।

पंद्रहवां दिन

इस दिन पाण्डव छल से द्रोणाचार्य का वध कर देते हैं।

सोलहवां दिन

इस दिन कर्ण को कौरव सेनापति बनाया जाता है। वह पांडव सेना का भयंकर संहार करता है। कर्ण नकुल-सहदेव को हरा देता है, लेकिन कुंती को दिए वचन के कारण उन्हें मारता नहीं है। भीम दुःशासन का वध कर देता है और उसकी छाती का रक्त पीता है।

सत्रहवां दिन

इस दिन कर्ण भीम और युधिष्ठिर को हरा देते हैं। अर्जुन से युद्ध करते समय कर्ण के रथ का पहिया भूमि में धंस जाता है। तब कर्ण पहिया निकालने के लिए नीचे उतरते हैं, उसी स्थिति में अर्जुन कर्ण का वध कर देते हैं। फिर राजा शल्य को कौरव सेना का प्रधान बनाया जाता है। युद्ध में राजा शल्य युधिष्ठिर के हाथों मारे जाते हैं।

अठाहरवां दिन

इस दिन भीम दुर्योधन के बचे हुए सभी भाइयों को मार देता है। सहदेव शकुनि को मार देता है। अपनी पराजय मानकर दुर्योधन एक तालाब मे छिप जाता है, लेकिन पांडव द्वारा ललकारे जाने पर वह भीम से गदा युद्ध करता है। तब भीम छल से दुर्योधन की जंघा पर प्रहार करता है, इससे दुर्योधन की मृत्यु हो जाती है। इस तरह पांडव विजयी होते हैं।

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