आज भी जीवित हैं महाभारत काल के ये महापुरुष, इन्हीं के जन्मोत्सव के रूप में मनाते हैं गुरु पूर्णिमा उत्सव

हिंदू धर्म में आषाढ़ मास की पूर्णिमा का विशेष महत्व है। इस बार ये तिथि 5 जुलाई, रविवार को है। 

Asianet News Hindi | Published : Jul 3, 2020 2:57 AM IST

उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, इसी दिन भगवान विष्णु के अवतार वेदव्यासजी का जन्म हुआ था। कौरव, पाण्डव आदि सभी इन्हें गुरु मानते थे। इसलिए आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा व व्यास पूर्णिमा कहा जाता है। महर्षि वेदव्यास ने भविष्योत्तर पुराण में गुरु पूर्णिमा के बारे में लिखा है-

मम जन्मदिने सम्यक् पूजनीय: प्रयत्नत:।
आषाढ़ शुक्ल पक्षेतु पूर्णिमायां गुरौ तथा।।
पूजनीयो विशेषण वस्त्राभरणधेनुभि:।
फलपुष्पादिना सम्यगरत्नकांचन भोजनै:।।
दक्षिणाभि: सुपुष्टाभिर्मत्स्वरूप प्रपूजयेत।
एवं कृते त्वया विप्र मत्स्वरूपस्य दर्शनम्।।

अर्थात- आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा को मेरा जन्म दिवस है। इसे गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन पूरी श्रृद्धा के साथ गुरु को कपड़े, आभूषण, गाय, फल, फूल, रत्न, धन आदि समर्पित कर उनका पूजन करना चाहिए। ऐसा करने से गुरुदेव में मेरे ही स्वरूप के दर्शन होते हैं।

ये हैं महर्षि वेदव्यास से जुड़ी रोचक बातें...
1.
जन्म लेते ही महर्षि व्यास युवा हो गए और तपस्या करने द्वैपायन द्वीप चले गए। तपस्या से वे काले हो गया। इसलिए उन्हें कृष्ण द्वैपायन कहा जाने लगा। वेदों का विभाग करने से वे वेदव्यास के नाम से प्रसिद्ध हुए।
2. महाभारत युद्ध के बाद महर्षि वेदव्यास ने अपने ऋषि बल से मृत योद्धाओं को एक रात के लिए पुनर्जीवित कर दिया था।
3. महर्षि वेदव्यास ने ही महाभारत की रचना की। महर्षि बोलते गए भगवान श्रीगणेश इस ग्रंथ को लिखते गए।
4. महर्षि वेदव्यास की कृपा से ही धृतराष्ट्र, पांडु व विदुर का जन्म हुआ था। कौरवों का जन्म भी इनके आशीर्वाद से हुआ था।
5. ग्रंथों में जो 8 अमर लोग बताए गए हैं, महर्षि वेदव्यास भी उन्हीं में से एक हैं। इसलिए इन्हें आज भी जीवित माना जाता है।
6. महर्षि वेदव्यास ने जब कलयुग का बढ़ता प्रभाव देखा तो उन्होंने ही पांडवों को स्वर्ग की यात्रा करने के लिए कहा था।
7. महर्षि वेदव्यास ने ही संजय को दिव्य दृष्टि प्रदान की थी, जिससे संजय ने धृतराष्ट्र को पूरे युद्ध का वर्णन महल में ही सुनाया था।
8. ग्रंथों में महर्षि वेदव्यास के पुत्र शुकदेव बताए गए हैं। शुकदेव ने ही राजा परीक्षित को श्रीमद्भागवत की कथा सुनाई थी।
9. पांडवों को द्रौपदी के पूर्वजन्म की कथा भी महर्षि वेदव्यास ने ही सुनाई थी। इसके बाद ही पांडव द्रौपदी स्वयंवर में गए थे।
10. महर्षि वेदव्यास ने 13 वर्ष पहले ही कौरवों सहित संपूर्ण क्षत्रियों के नाश होने की बात युधिष्ठिर को बता दी थी।
 

Share this article
click me!