महाभारत के अनुसार पांडवों और कौरवों के गुरु द्रोणाचार्य का पुत्र अश्वत्थामा काल, क्रोध, यम व भगवान शंकर के सम्मिलित अंशावतार थे।
उज्जैन. अश्वत्थामा ने ही द्रौपदी के सोते हुए पुत्रों का वध किया था। इस बात से क्रोधित होकर भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें चिरकाल तक पृथ्वी पर भटकते रहने का श्राप दिया था। इसलिए ऐसा माना जाता है कि अश्वत्थामा आज भी जीवित हैं। मान्यता है कि मध्य प्रदेश के एक किले में अश्वत्थामा रोज शिवलिंग की पूजा करने आते हैं।
मान्यता है कि यहां दिखाई देते हैं अश्वत्थामा
मध्य प्रदेश के बुरहानपुर शहर से 20 किलोमीटर दूर एक किला है। इसे असीरगढ़ का किला कहते हैं। इस किले में भगवान शिव का एक प्राचीन मंदिर है। यहां के स्थानीय निवासियों का कहना है कि अश्वत्थामा प्रतिदिन इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा करने आते हैं। कुछ लोग तो यह दावा भी करते हैं कि उन्होंने अश्वत्थामा को देखा है, लेकिन इस दावे पर में कितनी सच्चाई है, इस पर संदेह है।
सबसे पहले पूजा करते हैं अश्वत्थामा
मान्यता है कि असीरगढ़ के किले में स्थित तालाब में स्नान करके अश्वत्थामा शिव मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं। आश्चर्य कि बात यह है कि पहाड़ की चोटी पर बने किले में स्थित यह तालाब बुरहानपुर की तपती गरमी में भी कभी सूखता नहीं। तालाब के थोड़ा आगे गुप्तेश्वर महादेव का मंदिर है। मंदिर चारों तरफ से खाइयों से घिरा है।
मान्यता है कि इन्हीं खाइयों में से किसी एक में गुप्त रास्ता बना हुआ है, जो खांडव वन (खंडवा जिला) से होता हुआ सीधे इस मंदिर में निकलता है। इसी रास्ते से होते हुए अश्वत्थामा मंदिर के अंदर आते हैं। स्थानीय रहवासियों का दावा है सुबह सबसे पहले अश्वत्थामा ही इस मंदिर में आकर भगवान शिव की पूजा करते हैं।
कैसे पहुंचें?
असीरगढ़ किला बुरहानपुर से लगभग 20 किमी की दूरी पर उत्तर दिशा में सतपुड़ा पहाडिय़ों के शिखर पर समुद्र सतह से 750 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। बुरहानपुर खंडवा से लगभग 80 किमी दूर है। यहां से बुरहारनपुर तक जाने के लिए ट्रेन, बसें व टैक्सी आसानी से मिल जाती हैं। यहां से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट इंदौर है, जो करीब 180 किमी दूर है। बुरहानपुर मध्य प्रदेश के सभी बड़े शहरों से रेल मार्ग द्वारा जुड़ा है।