Til Chaturthi 2023: पूजा में तिल का उपयोग क्यों करते हैं, क्या आप जानते हैं तिल से जुड़ी ये बातें?

Til Chaturthi 2023: हिंदू धर्म में जब भी कोई पूजा आदि की जाती है तो उसमें तिल का उपयोग विशेष रूप से किया जाता है। माघ मास में तिल से जुड़े कई व्रत-त्योहार भी मनाए जाते हैं जैसे तिल चतुर्थी, षटतिला एकादशी, तिल द्वादशी आदि।
 

Manish Meharele | Published : Jan 9, 2023 5:22 AM IST

उज्जैन. इस बार तिल चतुर्थी (Til Chaturthi 2023) का पर्व 10 जनवरी, मंगलवार को है। इस व्रत में भगवान श्रीगणेश को तिल से बने पकवानों का भोग विशेष रूप से लगाया जाता है। माघ मास में तिल से जुड़े और भी कई व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं जैसे- षटतिला एकादशी, मकर संक्रांति, तिल द्वादशी आदि। तिल को बहुत ही पवित्र माना गया है। गरुड़ पुराण में भी तिल का महत्व बताया गया है। तिल से जुड़ी कई कथाएं हमारे धर्म ग्रंथों में बताई गई हैं। आगे जानिए तिल को क्यों इतना पवित्र मानते हैं…

ऐसे हुई तिल की उत्पत्ति
मत्स्यपुराण के अनुसार, मधु नाम का एक महाशक्तिशाली दैत्य था। भगवान विष्णु और मधु दैत्य के बीच भयंकर युद्ध हुआ। लड़ते-लड़ते भगवान विष्णु के शरीर से पसीना बहने लगा। इन्हीं पसीने की बूंदों से तिल की उत्पत्ति हुई। जब मधु दैत्य मारा गया तब सभी देवताओं ने प्रसन्न होकर भगवान की स्तुति की। प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने कहा कि ‘ मेरे शरीर से उत्प्नन होने के कारण ये तिल तीनों लोकों की रक्षा करने वाले हैं। मेरी पूजा में इसका उपयोग करने से मोक्ष की प्राप्ति होगी।’ इसलिए तिल का उपयोग पूजा में आवश्यक रूप से किया जाता है।

पितृ कर्म में भी तिल जरूरी
पितृ कर्म जैसे श्राद्ध, पिंडदान आदि में भी तिल का उपयोग विशेष रूप से किया जाता है। गरुड़ पुराण में तिल और गंगाजल से किए गए तर्पण को मुक्तिदायक कहा गया है। इसके अनुसार, तिल युक्त पानी से पितरों का तर्पण करने से उन्हें शांति मिलती है और वे सुखपूर्वक पितृ लोक में निवास करते हैं, साथ ही तर्पण करने वाले को ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। पूजा और पितृ कर्म में हमेशा सफेद तिलों का ही उपयोग किया जाता है।

तिल से जुड़े व्रत-त्योहार माघ मास में ही क्यों?
माघ हिंदू पंचांग का 11वां महीना है, जो शीत ऋतु में आता है। इस महीने में तिल से जुड़े सबसे अधिक व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं। इसके पीछे हमारे पूर्वजों की वैज्ञानिक सोच है क्योंकि इस मौसम में तिल का उपयोग हमारे शरीर के लिए शक्तिदायक होता है। शीत ऋतु में मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है, इस मौके पर तिल के पकवान विशेष रूप से खाए जाते हैं। इसके अलावा षटतिला एकादशी पर नहाने के पानी में तिल का उपयोग किया जाता है। इस तरह तिल का उपयोग कई रूपों में माघ मास में किया जाता है ताकि हमें तिल के गुणों का लाभ मिल सके।

जानें तिल का आयुर्वेदिक महत्व
आयुर्वेद में तिल को बहुउपयोगी माना गया है। इसके अनुसार, शीत ऋतु में तिल खाने से कई सारी बीमारियों से बचा जा सकता है। इसके तेल की मालिश से त्वचा में रुखापन नहीं आता और मांसपेशियां मजबूत होती हैं। तिल में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होता है, साथ ही कॉपर, मैग्नीशियम, ट्राइयोफान, आयरन, मैग्नीज, कैल्शियम, फास्फोरस, जिंक, विटामिन बी 1 और रेशे बहुत ज्यादा होते हैं। ये सारी चीजें रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने में मदद करती हैं।


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