Til Chaturthi 2022: गणेशजी के आकार में ही बना है भारत का सबसे बड़ा गणेश मंदिर, 6 लाख वर्गफीट में है फैला

21 जनवरी, शुक्रवार को मास मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि है। इस दिन तिल चतुर्थी (Til Chaturthi 2022) का व्रत किए जाने का परंपरा है। इस दिन देश के प्रमुख गणेश मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। इसे सकट और संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है।

Asianet News Hindi | Published : Jan 20, 2022 12:10 PM IST

उज्जैन. वैसे तो देश में भगवान श्रीगणेश के कई विशाल मंदिर हैं, लेकिन गुजरात (Gujarat) में अहमदाबाद (Ahmedabad) से 25 किमी दूर मेहमदाबाद (Mehmedabad) शहर में वात्रक नदी के किनारे विशाल गणेश को देश का सबसे बड़ा गणेश मंदिर कहा जाता है। यहां मुंबई के सिद्धि विनायक (Siddhivinayak Temple Mumbai) मंदिर से लाई गई ज्योत की स्थापना की गई है। इसलिए इस मंदिर का नाम भी सिद्धिविनायक (Siddhivinayak Temple Ahmedabad) ही रखा गया है। देश ही नहीं विदेश से भी भक्तजन यहां दर्शनों के लिए आते हैं। तिल चतुर्थी के अवसर पर जानिए इस मंदिर से जुड़ी खास बातें…

6 लाख स्कवेयर फीट में बना है ये मंदिर
- यह विशाल मंदिर अपने अद्भुत स्थापत्य के लिए बहुत प्रसिद्ध है। यह मंदिर 600,000 वर्ग फीट के विशाल क्षेत्र में भगवान गणेश की प्रतिमा की विशाल प्रतिकृति के रूप में बनाया गया है। 
- यह मंदिर 120 फीट लंबा, 71 फीट ऊंचा, और 80 फीट चौड़ा है। यहां ऑस्ट्रेलियन टेक्नालॉजी का उपयोग कर अलौकिक डिजाइन तैयार की गई है और डिजाइन के लिए रिवेट साफ्टवेयर का उपयोग हुआ है। 
- सिद्धि विनायक मंदिर गणपति जी की आकृति वाला देश का सबसे विशाल मंदिर है। इस विशाल मंदिर की ऊंचाई 71 फीट से अधिक है। मंदिर के चौथे माले पर मुम्बई के सिद्धि विनायक गणपति की हुबहू मूर्ति की स्थापना की गई है। 

जमीन से 20 फीट ऊपर बना है ये मंदिर
- इस मंदिर में विश्व के अन्य 10 देशों में स्थापित गणेशजी की प्रतिकृतियों को दर्शाया गया है। यहां के दूसरे माले पर भजन-कीर्तन करने की सुविधा के साथ सत्संग हॉल भी है। 
- गणपति के आकार का यह मंदिर जमीन से 20 फीट ऊंचाई पर निर्मित है, जिसमें भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना जमीन से 56 फीट की ऊंचाई पर की गई है। 
- हर साल, गणेश चतुर्थी के दिन इस मंदिर में हजारों भक्तजन भगवान के दर्शन के लिए उपस्थित होते हैं। 
- भगवान गणेश से मन्नत मांगने के लिए देश की विभिन्न जगह से श्रद्धालु यहां आते हैं। यहां आरती तथा पूजा का आयोजन किया जाता है। भगवान गणेश को उनके प्रिय लड्डुओं का भोग लगाया जाता है। 


 

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