रात में उज्जैन में और दिन में गुजरात के इस मंदिर में निवास करती हैं देवी हरसिद्धि, क्या है यहां की मान्यता?

हमारे देश में अनेक देवी मंदिर हैं, जिनसे कोई-न-कोई परंपरा या मान्यता जुड़ी हैं। ऐसी ही एक मान्यता उज्जैन के इस देवी शक्तिपीठ से जुड़ी है, जो सुनने में बहुत अजीब और हैरान कर देने वाली है। धर्म ग्रंथों के अनुसार माता सती के अंग जहां-जहां गिरे, वहां शक्तिपीठ के रूप में उनकी उपासना की जाती है।
 

उज्जैन. हिंदू धर्म में कुल 51 शक्तिपीठों की मान्यता है। इन्हीं में से एक हैं उज्जैन (Ujjain) स्थित मां हरिसिद्धि (Devi Harsiddhi), जहां माता सती को कोहनी गिरी थी। मान्यता है कि देवी हरसिद्धी रात में उज्जैन और दिन में गुजरात के हर्षद माता मंदिर (Harshad Mata Temple) में निवास करती हैं। इस मान्यता से जुड़ी एक कथा भी प्रचलित हैं। आगे जानिए इस परंपरा और मंदिर से जुड़ी खास बातें…

ये है मान्यता
गुजरात (Gujarat) स्थित पोरबंदर (porbandar) से करीब 48 किमी दूर मूल द्वारका के समीप समुद्र की खाड़ी के किनारे मियां गांव है। खाड़ी के पार पर्वत की सीढिय़ों के नीचे हर्षद माता (हरसिद्धि) का मंदिर है। मान्यता है कि उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य यहीं से आराधना करके देवी को उज्जैन लाए थे। तब देवी ने विक्रमादित्य से कहा था कि मैं रात के समय तुम्हारे नगर में तथा दिन में इसी स्थान पर वास करूंगी। इस कारण आज भी माता दिन में गुजरात और रात में मप्र के उज्जैन में वास करती हैं।

इसलिए पड़ा हरसिद्धि नाम
स्कंदपुराण के अनुसार, एक बार जब चंड-प्रचंड नाम के दो दानव कैलास पर्वत पर प्रवेश करने लगे तो नंदी ने उन्हें रोक दिया। असुरों ने नंदी को घायल कर दिया। इस पर भगवान शिव ने भगवती चंडी का स्मरण किया। शिव के आदेश पर देवी ने दोनों असुरों का वध कर दिया। प्रसन्न महादेव ने कहा, तुमने इन दानवों का वध किया है। इसलिए आज से तुम्हारा नाम हरसिद्धि प्रसिद्ध होगा।

Latest Videos

राजा विक्रमादित्य ने 11 बार चढ़ाया सिर
सम्राट विक्रमादित्य माता हरसिद्धि के परम भक्त थे। किवदंती है कि हर बारह साल में एक बार वे अपना सिर माता के चरणों में अर्पित कर देते थे, लेकिन माता की कृपा से पुन: नया सिर मिल जाता था। बारहवीं बार जब उन्होंने अपना सिर चढ़ाया तो वह फिर वापस नहीं आया। इस कारण उनका जीवन समाप्त हो गया। 

कैसे पहुंचें?
उज्जैन सड़क, ट्रेन और उड़ानों द्वारा देश के दूसरे हिस्से से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। रेल: उज्जैन पश्चिम रेलवे का एक रेलवे स्टेशन है। सड़क: नियमित बस सेवाएं उज्जैन को इंदौर, भोपाल, रतलाम, ग्वालियर, मांडू, धार, कोटा और ओंकारेश्वर आदि से जोड़ती हैं।


 

ये खबरें भी पढ़ें...

Life Management: 6 अंधे हाथी देखने गए, किसी ने कहा हाथी नली जैसा होता है, किसी ने खंबे जैसा बताया…फिर क्या हुआ

Life Management: गुब्बारों पर नाम लिखकर कमरे में रखा गया, सभी को अपने नाम का गुब्बारा ढूंढना था…क्या ऐसा हुआ?

Life Management: चित्रकार ने पेंटिंग पर लिखा-इसमें कोई गलती हो तो बताएं…शाम को उसने पेंटिंग देखी तो दंग रह गया

Life Management: राजा ने साधु को राज-पाठ सौंप दिया, बाद में साधु ने उस राजा को नौकर बना लिया…फिर क्या हुआ?

Life Management: जब एक बुढ़िया ने शिवाजी महाराज को कहा मूर्ख, शिवाजी ने कारण पूछा तो बताई उनकी ये गलती

Share this article
click me!

Latest Videos

जौनपुर में कब्रिस्तान के बीचो-बीच शिवलिंग, 150 या 20 साल क्या है पूरी कहानी? । Jaunpur Shivling
मोहन भागवत के बयान पर क्यों बिफरे संत, क्या है नाराजगी की वजह । Mohan Bhagwat
'अब पानी की नो टेंशन' Delhi Election 2025 को लेकर Kejriwal ने किया तीसरा बड़ा ऐलान
LIVE🔴: अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में 'अटल युवा महाकुम्भ' का उद्घाटन
बांग्लादेश की अपील से कैसे बच सकती हैं शेख हसीना? ये है आसान रास्ता । Sheikh Hasina