300 साल पहले भी आपके पूर्वजों ने इस तीर्थ पर किया होगा श्राद्ध तो आज भी मिल जाएगा रिकॉर्ड

Published : Sep 23, 2022, 10:35 AM IST
300 साल पहले भी आपके पूर्वजों ने इस तीर्थ पर किया होगा श्राद्ध तो आज भी मिल जाएगा रिकॉर्ड

सार

Shradh Paksha 2022: 25 सितंबर, रविवार को श्राद्ध पक्ष का समापन हो जाएगा। इस दिन सर्व पितृ अमावस्या रहेगी। इस दिन प्रमुख तीर्थ स्थानों पर श्राद्ध करवाने वालों की भीड़ उमड़ेगी। हमारे देश में तर्पण औ पिंडदान के लिए अनेक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान हैं।   

उज्जैन. हमारे देश में श्राद्ध (Shradh Paksha 2022) आदि पितृ कर्म के लिए अनेक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान हैं। इन्हीं में से एक है मध्य प्रदेश के उज्जैन (Ujjain) में स्थित सिद्धनाथ (Siddhanth )। इस स्थान के बारे में कहा जाता है कि देवी पार्वती ने इसी स्थान पर भगवान कार्तिकेय का मुंडन करवाया था। मान्यता है कि यहां जो वट वृक्ष स्थापित है, उसे भी देवी पार्वती ने ही रोपा था। यहां देश-दुनिया से लोग अपने पितरों का तर्पण और श्राद्ध करने आते हैं। खास बात ये है कि यहां श्राद्ध करवाने आए लोगों का 300 साल पुराना रिकॉर्ड भी आसानी से मिल जाता है।  

700 पुजारी करवाते हैं तर्पण, पिंडदान
तीर्थ पुरोहित पंडा समिति के अध्यक्ष पं. राजेश त्रिवेदी के अनुसार, इस स्थान पर श्राद्ध करवाने की परंपरा हजारों साल पुरानी है। यहां लगभग 150 परिवारों से जुड़े 700 पुजारी तर्पण, श्राद्ध आदि करवाते हैं। अलग-अलग समाजों के अपने पुजारी तय हैं, जिनके पास श्राद्ध करवाने आए लोगों को पूरा रिकार्ड होता है, जैसे- किसका श्राद्ध किया, किसने किया, समाज, गोत्र, परिवार व गांव का नाम आदि जानकारी वे अपनी पोथी (रिकार्ड बुक) में लिख लेते हैं। 

सबसे पुराना रिकार्ड 300 साल का
पं. त्रिवेदी के अनुसार, सिद्धनाथ पर रोज देश के कौने-कौन से लोग अपने पितरों का पिंडदान करने आते हैं। यदि किसी व्यक्ति ने 300 साल पहले भी यहां आकर अपने पितरों की शांति के लिए श्राद्ध करवाया हो तो उसका रिकार्ड भी यहां सुरक्षित है। इन पोथियों को समय-समय पर अपडेट भी करवाया जाता है यानी इन्हें एक से दूसरी पोथी में लिखा जाता है। 

जब मुगलों ने कटवा दिया वट वृक्ष
उज्जैन स्थित इस तीर्थ स्थान पर एक विशाल वट वृक्ष है, जिसके बारे में मान्यता है कि इसे देवी पार्वती ने रोपा था। ये वृक्ष प्रयाग और गया में स्थित वट वृक्ष के समान ही पूजनीय है। कहते हैं कि मुगलों ने इस तीर्थ को नष्ट करने का भरपूर प्रयास किया, लेकिन वे सफल नहीं हो पाए। तब उन्होंने इस वटवृक्ष को कटवाकर उसके ऊपर लोहे के तवे जड़वा दिए, लेकिन वटवृक्ष उन लोहे के तवों को फोड़कर पुन: हरा-भरा हो गया।

कैसे पहुचें?
- भोपाल-अहमदाबाद रेलवे लाइन पर स्थित उज्जैन एक पवित्र धार्मिक नगरी है। ट्रेन के माध्यम से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।
- उज्जैन का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट इंदौर में है, जो यहां से 55 किलोमीटर दूर है। इंदौर से उज्जैन जाने के लिए बसें भी आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं।
- मध्य प्रदेश के प्रमुख शहरों से भी सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है।


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