Katirna Vicky Kaushal Marriage: शादी के बाद इन मंदिरों में माथा टेक सकते हैं “विक-कैट”, इनसे जुड़े हैं कई रहस्य

बॉलीवुड के रूमर्ड कपल विक्की कौशल और कटरीना कैफ अपनी शादी (Katirna Vicky Kaushal Marriage)  को लेकर सुर्खियों में बने हुए हैं। दोनों की शादी 9 दिसंबर को सवाई माधोपुर जिले के चौथ के बरवाड़ा स्थित सिक्स सेंसेस फोर्ट में होने जा रही है। शादी को लेकर यहां बहुत सख्त इंतजाम किए गए हैं। इस हाई प्रोफाइल शादी में मेहमानों तक को मोबाइल ले जाने पर पाबंदी है।

Manish Meharele | Published : Dec 6, 2021 2:44 PM IST / Updated: Dec 06 2021, 08:16 PM IST

उज्जैन.  सिने अभिनेता विक्की कौशल और अभिनेत्री कटरीना कैफ की शादी 9 दिसंबर को राजस्थान के माधौपुर में होने जा रही है। कयास लगाए जा रहे हैं शादी के बाद विक्की कौशल और कटरीना कैफ राजस्थान के कुछ मंदिरों में दर्शन करने जा सकते हैं। ये मंदिर हैं राजस्थान का प्रसिद्ध और देश का एकमात्र चौथ माता मंदिर, जो बरवाड़ा गांव में अरावली पहाड़ की एक चोटी पर स्थित है। वहीं सवाई माधोपुर के रणथंभौर किले में स्थित गणेश मंदिर में भी ये कपल जा सकता है। आगे जानिए क्या इन मंदिरों से जुड़ी खास बातें…
 

चौथ माता मंदिर की अखंड ज्योति का रहस्य
राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के बरवाड़ा में 1 हजार फीट से भी ज्यादा ऊंचाई पर स्थित है। इस मंदिर की स्थापना 1451 में वहां के शासक भीम सिंह ने की थी। माता के नाम पर कोटा में चौथ माता बाजार भी है। कोई संतान प्राप्ति तो कोई सुख-समृद्धि की कामना लेकर चौथ माता के दर्शन को आता है। मान्यता है कि माता सभी की इच्छा पूरी करती हैं। करवा चौथ पर यहां महिलाओं की भीड़ उमड़ती है। मंदिर में सैकड़ों साल से अखंड ज्योति जल रही है। इसके जलते रहने का रहस्य आज तक कोई नहीं समझ पाया है। इस मंदिर में दर्शन के लिए राजस्थान से ही नहीं अन्य राज्यों से भी लाखों की तादाद में श्रद्धालु आते हैं। शहर से 35 किमी दूर पहाड़ी की चोटी पर स्थित यह मंदिर जयपुर शहर के आसपास का एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है। दीवारों और छत पर शिलालेख के साथ यह वास्तुकला की परंपरागत राजपूताना शैली के लक्षणों को प्रकट करता है। मंदिर तक पहुंचने के लिए 700 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। देवी की मूर्ति के अलावा, मंदिर परिसर में भगवान गणेश और भैरव की मूर्तियां भी दिखाई पड़ती हैं।

यहां होती गणेशजी के मुख की पूजा
सवाई माधोपुर के रणथंभौर किले में 1500 फीट की ऊंचाई पर भगवान श्रीगणेश का प्राचीन मंदिर है। यहां सिर्फ गणेश के मुख की पूजा की जाती है। शरीर के अन्य अंग नहीं होने से ये प्रतिमा रहस्यमयी जान पड़ती है। शादी या किसी भी शुभ कार्य से पहले दुनियाभर के लोग पहला कार्ड सबसे पहले मंदिर भिजवाते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से उनके कार्य बिना किसी बाधा से पूरे हो जाएंगे। यहां भगवान गणेश जी की त्रिनेत्र प्रतिमा स्वयं प्रकट प्रतिमा के रूप में स्थापित है। 10वीं सदी में रणथंभौर के राजा हमीर ने ये मंदिर बनवाया था। तभी से भगवान गणेश जी को प्रथम निमंत्रण देने का सिलसिला चल रहा है। रोजाना मंदिर में 15 से 20 किलो डाक आती है। इसमें निमंत्रण पत्र और गणेश भगवान के नाम खत होते हैं। जो अलग-अलग भाषाओं में भी होते हैं। अब तो लोग मंदिर के ईमेल और वाट्सएप नंबर भी निमंत्रण पत्र भेजने लगे। जिन्हें पुजारी जी गणेश जी को पढ़कर सुनाते हैं।
 

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