Ganesh Chaturthi 2022: हर शुभ काम से पहले होती है गणेशजी की पूजा, क्या आप जानते हैं इसकी वजह?

Ganesh Chaturthi 2022: इस बार 31 अगस्त, बुधवार को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा। धर्म ग्रंथों में भगवान श्रीगणेश को प्रथम पूज्य कहा जाता है यानी हर शुभ काम से पहले इनकी ही पूजा करने का विधान है। ऐसा क्यों किया जाता है, इसके पीछे एक कथा जुड़ी हैं।
 

Manish Meharele | Published : Aug 23, 2022 12:47 PM IST

उज्जैन. किसी भी शुभ काम से पहले वैसे तो अनेक देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, लेकिन सबसे पहला पूजा होती है भगवान श्रीगणेश की। इसलिए इन्हें प्रथम पूज्य भी कहा गया है। भले ही कोई छोटे से छोटा शुभ कार्य भी क्यों न हो, गणेशजी की पूजा के बिना वो आरंभ ही नहीं होता। इस बार गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2022) का पर्व 31 अगस्त, बुधवार को मनाया जाएगा। इस मौके पर जानिए भगवान श्रीगणेश को किसने दिया प्रथम पूज्य का अधिकार…

जब देवताओं में लगी खुद को श्रेष्ठ बताने की होड़
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बाद सभी देवताओं पर इस बात को बहस होने लगी कि धरती पर किसी भी शुभ कार्य से पहले किसी देवता की पूजा की जानी चाहिए। सभी देवता स्वयं को दूसरे से श्रेष्ठ बताने लगे। इस पर देवताओं में विवाद बढ़ने लगा। तभी वहां देवर्षि नारद आए और उन्होंने देवताओं को भगवान शिव के जाने को कहा।

जब महादेव ने सूझाई ये तरकीब
जब सभी देवता भगवान शिव के पास और उन्हे पूरी बात बताई तो महादेव ने कहा कि “इस बात का फैसला तो इसी बात से हो सकता है जब कोई प्रतियोगिता की जाए।” महादेव की बात सुनकर सभी देवता सोच में पड़ गए। तब शिवजी ने कहा कि “ जो भी देवता गण अपने वाहन पर बैठकर सबसे पहले तीनों लोकों का चक्कर लगाकर वापस आ जाएगा। वही प्रथम पूजा का अधिकारी होगी।

श्रीगणेश ने की चतुराई
सभी देवताओं ने शिवजी की बात मान ली और अपने-अपने वाहनों पर सवार होकर धरती की तीनों लोकों की परिक्रमा करने के लिए निकल पड़े। किसी देवता के पास घोड़ा था किसी के पास मोर। कोई देवता हाथी पर सवार होकर निकला तो कोई रथ पर। पर भगवान श्रीगणेश वहीं खड़े रहे। सभी देवताओं के जाने के बाद उन्होंने अपने माता-पिता यानी शिव-पार्वती की परिक्रमा की ओर हाथ जोड़कर खड़े हो गए।

देवताओं ने भी श्रीगणेश को माना प्रथम पूज्य
जब सभी देवता तीनों लोकों की परिक्रमा कर वापस लौटे तो उन्होंने देखा कि श्रीगणेश तो वहीं खड़े हैं। ये देखकर उन्हें बड़ा आश्चर्य हुआ। जब प्रतियोगिता का विजेता घोषित करने की बारी आई तो श्रीगणेश को चुना गया। सभी देवता इस पर आश्चर्य करने लगे। तब शिवजी ने उन्हें सारी बात बताई और कहा कि “माता-पिता में ही तीनों लोकों का वास है। इस तरह गणेशजी ने हमारी परिक्रमा कर ये प्रतियोगिता जीत ली है।” पूरी बात जानकर सभी देवताओं ने शिवजी का निर्णय स्वीकार किया।


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