Janmashtami 2022: वो कौन-सा कृष्ण मंदिर हैं जहां जन्माष्टमी की रात दी जाती है 21 तोपों की सलामी?

Janmashtami 2022: हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व किया जाता है। मान्यता है कि सि द्वापर युग में इसी तिथि पर भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। इस बार ये पर्व 18 और 19 अगस्त को मनाया जाएगा। ऐसा पंचांग भेद के कारण होगा।
 

Manish Meharele | Published : Aug 14, 2022 11:05 AM IST / Updated: Aug 16 2022, 05:44 PM IST

उज्जैन. इस बार जन्माष्टमी पर्व को लेकर ज्योतिषियों में मतभेद है, जिसके चलते ये पर्व 18 व 19 अगस्त को यानी दो दिन मनाया जाएगा। जन्माष्टमी पर प्रमुख कृष्ण मंदिरों मे विशेष सजावट की जाती है व कुछ खास आयोजन भी किए जाते हैं। हर मंदिर की अपनी अलग-अलग परंपराएं होती हैं। राजस्थान (Rajasthan) के श्रीनाथ मंदिर (Shrinath Temple) में जन्माष्टमी पर ऐसी ही एक खास परंपरा निभाई जाती है। जिसके अंतर्गत जन्माष्टमी की रात 12 बजते ही भगवान श्रीनाथ को 21 तोपों की सलामी दी जाती है। यह मंदिर उदयपुर (Udaipur) से 48 किमी की दूरी पर स्थित है। और भी कई बातें इस मंदिर को खास बनाती हैं। आगे जानिए इस मंदिर से जुड़ी खास बातें

इस मंदिर में 8 बार होती है भगवान की पूजा
- किसी भी मंदिर में आमतौर पर 5 पूजा की जाती है, लेकिन नाथद्वारा मंदिर में भगवान श्रीनाथ की 8 बार पूजा करने का विधान है। श्रीनाथजी वैष्णव संप्रदाय के प्रमुख देवता है - इस संप्रदाय की स्थापना स्वामी वल्लभाचार्य ने की थी। भक्ति योग के अनुयायी और गुजरात, राजस्थान व महाराष्ट्र के वैष्णव प्रमुखता से श्रीनाथजी को मानते हैं।
- मंदिर में स्थापित भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा बहुत ही सुंदर है। ये काले रंग के संगमरमर से बनी है, जिसे केवल एक ही पत्थर से तराशकर बनाया गया है। 
- इस प्रतिमा में भगवान गोवर्धन पर्वत को एक हाथों पर उठाए दिखाई देते है और दूसरे हाथ से भक्तों को आशीर्वाद देते हुए नजर आते हैं। 
- इस मंदिर के अंदर जाने के लिए तीन प्रवेश द्वार बनाए गए है। एक प्रवेश द्वार केवल महिलाओं के लिए बनाया गया है जिसे सूरजपोल कहते हैं।
- यहां से जुड़ी एक मान्यता ये भी है कि जब औरंगजेब श्रीनाथ जी की मूर्ति को खंडित करने मंदिर में आया तो मंदिर में पंहुचते ही अँधा हो गया था। 
- तब उसने अपनी दाढ़ी से मंदिर की सीढियाँ साफ़ करते हुए श्रीनाथजी से विनती की और वह ठीक हो गया। औरंगजेब ने बेशकीमती हीरा मंदिर को भेंट किया जो आज भी श्रीनाथजी की दाढ़ी में लगा है।

कैसे पहुंचें?
- श्रीनाथद्वारा के उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम में स्थित सभी प्रमुख शहरों से सीधी बस सेवा उपलबध है।
- श्रीनाथद्वारा के निकटवर्ती रेल्वे स्टेशन मावली (28) एवं उदयपुर (48) से देश के प्रमुख शहरों के लिए ट्रेन सेवा उपलब्ध है।
- श्रीनाथद्वारा के निकटवर्ती हवाई अड्डे डबोक (48) से देश के प्रमुख शहरों के लिए वायुयान सेवा उपलब्ध है।

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