परंपरा: पूजा में कौन-सी धातुओं के बर्तनों का उपयोग करना चाहिए और कौन-सी नहीं?

Published : Sep 24, 2019, 06:09 PM IST
परंपरा: पूजा में कौन-सी धातुओं के बर्तनों का उपयोग करना चाहिए और कौन-सी नहीं?

सार

 अगर वर्जित किए गए बर्तन पूजा में रखे जाते हैं तो धर्म-कर्म का पूरा पुण्य फल प्राप्त नहीं हो पाता है।

उज्जैन(Ujjain). पूजा-पाठ में कई प्रकार के बर्तनों का उपयोग किया जाता है। कुछ धातुएं ऐसी हैं जो पूजा में वर्जित की गई हैं। अगर वर्जित किए गए बर्तन पूजा में रखे जाते हैं तो धर्म-कर्म का पूरा पुण्य फल प्राप्त नहीं हो पाता है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रफुल्ल भट्‌ट से जानिए पूजा के लिए कौन-कौन सी धातुएं शुभ हैं और कौन-सी अशुभ हैं...
ये धातुएं हैं शुभ
  •  शास्त्रों के अनुसार अलग-अलग धातु अलग-अलग फल देती है। सोना, चांदी, पीतल, तांबे की बर्तनों का उपयोग पूजा के लिए शुभ माना गया है।
  •  मान्यता है कि इन धातुओं से पूजा करने पर देवी-देवता जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं।
  •  पूजा में सोने, चांदी, पीतल, तांबे के बर्तनों का उपयोग करना चाहिए। इन धातुओं को रगड़ना हमारी त्वचा के लिए लाभदायक रहता है।
  •  आयुर्वेद के अनुसार इन धातुओं के लगातार संपर्क में रहने से कई बीमारियों में राहत मिल सकती है।
  • ये धातुएं मानी गई हैं अशुभ
  •  पूजा में लोहा, स्टील और एल्युमिनियम धातु से बने बर्तन वर्जित किए गए हैं।
  •  धार्मिक क्रियाओं में लोहा, स्टील और एल्युमिनियम को अपवित्र धातु माना गया है। इसीलिए इन धातुओं की मूर्तियां भी नहीं बनाई जाती।
  •  लोहे में हवा, पानी से जंग लग जाता है। एल्युमिनियम से भी कालिख निकलती है। पूजा में कई बार मूर्तियों को हाथों से स्नान कराया जाता है, उस समय इन मूर्तियों रगड़ा भी जाता है।
  •  ऐसे में लोहे और एल्युमिनियम से निकलने वाली जंग और कालिख का हमारी त्वचा पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए लोहा, एल्युमीनियम को पूजा में वर्जित किया गया है।

PREV

Recommended Stories

Rukmini Ashtami 2025: कब है रुक्मिणी अष्टमी, 11 या 12 दिसंबर?
Mahakal Bhasma Aarti: नए साल पर कैसे करें महाकाल भस्म आरती की बुकिंग? यहां जानें