किसने दिया था हनुमानजी को अमरता का वरदान? जानिए ऐसी ही अन्य रोचक बातें

इस बार 8 अप्रैल, बुधवार को हनुमान जयंती है। इस दिन हनुमानजी की पूजा विशेष रूप से की जाती है।

Asianet News Hindi | Published : Apr 4, 2020 6:36 PM IST

उज्जैन. इस अवसर पर हम आपको हनुमानजी से जुड़ी कुछ ऐसी बातें बता रहे हैं, जो बहुत कम लोग जानते हैं, जैसे- हनुमानजी को अमर होने का वरदान किसने दिया? इसके अलावा भी हनुमानजी से जुड़ी बहुत सी रोचक बातें आज आप जान पाएंगे।

किसने दिया था हनुमानजी को अमरता का वरदान
वाल्मीकि रामायण के अनुसार, जब हनुमानजी माता सीता की खोज करते हुए लंका में पहुंचे और उन्होंने भगवान श्रीराम का संदेश सुनाया तो वे बहुत प्रसन्न हुईं। इसके बाद माता सीता ने हनुमानजी को अपनी अंगूठी दी और अमर होने के वरदान दिया।

कैसे हुआ हनुमानजी का जन्म?
शिवपुराण के अनुसार, देवताओं और दानवों को अमृत बांटते हुए विष्णु के मोहिनी रूप को देखकर लीलावश शिवजी ने कामातुर होकर अपना वीर्यपात कर दिया। सप्त ऋषियों ने उस वीर्य को कुछ पत्तों में संग्रहित कर लिया। समय आने पर सप्त ऋषियों ने भगवान शिव के वीर्य को वानरराज केसरी की पत्नी अंजनी के कान के माध्यम से गर्भ में स्थापित कर दिया, जिससे अत्यंत तेजस्वी एवं प्रबल पराक्रमी श्रीहनुमानजी उत्पन्न हुए।

क्या हुआ जब हनुमानजी सूर्यदेव को खाने दौड़े?
वाल्मीकि रामायण के अनुसार, बचपन में जब हनुमान सूर्यदेव को फल समझकर खाने को दौड़े तो घबराकर देवराज इंद्र ने हनुमानजी पर वज्र का वार किया। वज्र के प्रहार से हनुमान बेहोश हो गए। यह देखकर वायुदेव बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने समस्त संसार में वायु का प्रवाह रोक दिया। संसार में हाहाकार मच गया। तब परमपिता ब्रह्मा हनुमान को होश में लाए। उस समय सभी देवताओं ने हनुमानजी को वरदान दिए। इन वरदानों से ही हनुमानजी परम शक्तिशाली बन गए।

सूर्यदेव से कैसे शिक्षा पाई हनुमानजी ने?
जब हनुमानजी विद्या ग्रहण करने के योग्य हुए तो माता-पिता ने उन्हें सूर्यदेव के पास शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजा। हनुमानजी ने जाकर सूर्यदेव से गुरु बनने के लिए प्रार्थना की। तब सूर्यदेव ने कहा कि मैं तो एक क्षण के लिए रूक नहीं सकता और न ही मैं रथ से उतर सकता हूं। ऐसी स्थिति में मैं तुम्हें किस तरह शास्त्रों का ज्ञान दे पाऊंगा।
तब हनुमानजी ने कहा कि आप बिना अपनी गति कम किए ही मुझे शास्त्रों का ज्ञान देते जाईए। मैं इसी अवस्था में आपके साथ चलते हुए विद्या ग्रहण कर लूंगा। सूर्यदेव ने ऐसा ही किया। सूर्यदेव वेद आदि शास्त्रों का रहस्य शीघ्रता से बोलते जाते और हनुमानजी शांत भाव से उसे ग्रहण करते जाते। इस प्रकार सूर्यदेव की कृपा से ही हनुमानजी को ज्ञान की प्राप्ति हुई।

 

Share this article
click me!