गोवत्स द्वादशी पर करें गायों की पूजा, जानिए गायों को पवित्र मानने का वैज्ञानिक कारण

भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को गोवत्स द्वादशी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन गौधन (गाय, बछड़ा आदि) की पूजा विशेष रूप की जाती है। इस बार ये पर्व 15 अगस्त, शनिवार को है।

उज्जैन. गाय को हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र मानकर माता का स्थान दिया गया है। अनेक धर्म ग्रंथों में गाय के महत्व के बारे में बताया गया है। इसके दूध को अमृत कहा गया है, वहीं गौमूत्र और गोबर को भी परम पवित्र माना गया है। जानिए गाय को क्यों इतना पवित्र माना गया है…

इसलिए गाय को माना जाता है पवित्र...
- श्रीमद्भागवत के अनुसार, जब देवता और असुरों ने समुद्र मंथन किया तो उसमें कामधेनु निकली। पवित्र होने की वजह से इसे ऋषियों ने अपने पास रख लिया। माना जाता है कि कामधेनु से ही अन्य गायों की उत्पत्ति हुई।
- धर्म ग्रंथों में ये भी बताया गया है गाय में सभी देवता निवास करते हैं। गाय की पूजा करने से सभी देवताओं का पूजन अपने आप हो जाता है।
- श्रीमद्भागवत के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण भी गायों की सेवा करते थे। श्रीकृष्ण रोज सुबह गायों की पूजा करते थे और ब्राह्मणों को गौदान करते थे।
- महाभारत के अनुसार, गाय के गोबर और मूत्र में देवी लक्ष्मी का निवास है। इसलिए इन दोनों चीजों का उपयोग शुभ काम में किया जाता है।
- वैज्ञानिकों ने भी माना है कि गौमूत्र में बहुत से उपयोगी तत्व पाए जाते हैं, जिनसे अनेक बीमारियों का उपचार संभव है।
- गाय का दूध, घी आदि चीजें भी स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं। विशेष अवसरों पर ब्राह्मणों को गाय दान करने करने की परंपरा आज भी है।

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