महेश नवमी पर इस विधि से करें भगवान शिव की पूजा, जानिए क्या है इस पर्व का महत्व

ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को महेश नवमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 31 मई, रविवार को है।

उज्जैन. मान्यता के अनुसार, महेश नवमी पर ही माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति हुई थी। इसलिए माहेश्वरी समाज द्वारा यह पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। महेश नवमी पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए व्रत व पूजा करने का भी विधान है, जो इस प्रकार है-

पूजन विधि
- महेश नवमी की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद शिव मूर्ति के समीप पूर्व या उत्तर में मुख करके बैठ जाएं। हाथ में जल, फल, फूल और चावल लेकर इस मंत्र से संकल्प लें-
मम शिवप्रसाद प्राप्ति कामनया महेशनवमी-निमित्तं शिवपूजनं करिष्ये।
- यह संकल्प करके माथे पर भस्म का तिलक और गले में रुद्राक्ष की माला धारण करें। उत्तम प्रकार के गंध, फूल और बिल्वपत्र आदि से भगवान शिव-पार्वती की पूजा करें।
- यदि शिव मूर्ति न हो तो गीली चिकनी मिट्टी से अंगूठे के आकार की मूर्ति बनाएं। मूर्ति बनाते समय महेश्वराय नम: का स्मरण करते रहें।
- इसके बाद शूलपाणये नम: से प्रतिष्ठा और पिनाकपाणये नम: से आह्वान करके शिवाय नम: से स्नान कराएं और पशुपतये नम: से गन्ध, फूल, धूप, दीप और भोग अर्पण करें।
- इसके बाद इस प्रकार भगवान शिव से प्रार्थना करें-
जय नाथ कृपासिन्धोजय भक्तार्तिभंजन।
जय दुस्तरसंसार-सागरोत्तारणप्रभो॥
प्रसीदमें महाभाग संसारात्र्तस्यखिद्यत:।
सर्वपापक्षयंकृत्वारक्ष मां परमेश्वर॥
- इस प्रकार पूजन करने के बाद उद्यापन करके शिव मूर्ति का विसर्जन कर दें। इस प्रकार महेश नवमी पर भगवान शिव का पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है।

Latest Videos

इसलिए मनाते हैं महेश नवमी
- महेश नवमी का पर्व मुख्य रूप से माहेश्वरी समाज द्वारा मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार, माहेश्वरी समाज के पूर्वज पूर्वकाल में क्षत्रिय वंश के थे।
- किसी कारणवश उन्हें ऋषियों ने श्राप दे दिया। तब इसी दिन भगवान शंकर ने उन्हें श्राप से मुक्त किया व अपना नाम भी दिया।
- यह भी प्रचलित है कि भगवान शंकर की आज्ञा से ही इस समाज के पूर्वजों ने क्षत्रिय कर्म छोड़कर वैश्य या व्यापारिक कार्य को अपनाया।
- वैसे तो महेश नवमी का पर्व सभी समाज के लोग मनाते हैं, लेकिन माहेश्वरी समाज द्वारा इस पर्व को बहुत ही भव्य रूप में मनाया जाता है।
- इस उत्सव की तैयारी पहले से ही शुरू हो जाती है। इस दिन धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम किए जाते हैं।
- कुछ स्थानों पर चल समारोह भी निकाले जाते हैं। यह पर्व भगवान शंकर और पार्वती के प्रति पूर्ण भक्ति और आस्था प्रकट करता है।

Share this article
click me!

Latest Videos

महाकुंभ 2025 में रुद्राश्र की पगड़ी पहने बाबा हो रहे वायरल #shorts #mahakumbh2025
पेशवाई का अद्भुत वीडियोः साधुओं का शंखनाद-सिर पर रुद्राश्र की पगड़ी
LIVE: Chief Election Commissioner के ऑफिस पहुंचे Arvind Kejriwal ने पूछे सवाल !
कोच से लेकर रेलवे स्टेशन तक, महाकुंभ 2025 को लेकर किए गए ये खास इंतजाम
महाकुंभ 2025: पेशवाई का अद्भुत VIDEO, ढोल की थाप ने रोक दी भीड़