ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मां धूमावती जयंती मनाई जाती है। इस बार ये पर्व 30 मई, शनिवार को है।
उज्जैन. देवी धूमावती दस महाविद्याओं में से एक हैं। इस दिन काले तिल को काले वस्त्र में बांधकर मां धूमावती को चढ़ाने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं। इस दिन धूमावती देवी के स्तोत्र का पाठ, सामूहिक जप-अनुष्ठान आदि किया जाता है।
ऐसा है धूमावती माता का स्वरूप
- पार्वती का धूमावती स्वरूप अत्यंत उग्र है।
- मां धूमावती विधवा स्वरूप में पूजी जाती हैं।
- मां धूमावती का वाहन कौवा है।
- श्वेत वस्त्र धारण कर खुले केश रूप में होती हैं।
इस विधि से करें माता धूमावती की पूजा
- धूमावती जयंती के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करने के बाद पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करके जल, पुष्प, सिन्दूर, कुमकुम, चावल, फल, धूप, दीप तथा नैवैद्य आदि से मां का पूजन करना चाहिए।
- पूजा के पश्चात अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए मां से प्रार्थना अवश्य करनी चाहिए, क्योंकि मां धूमावती की कृपा से मनुष्य के समस्त पापों का नाश होता है तथा दु:ख, दारिद्रय आदि दूर होकर मनोवांछित फल प्राप्त होता है। इस दिन मां धूमावती की कथा जरूर सुननी चाहिए।
- मां धूमावती के दर्शन से संतान और पति की रक्षा होती है। परंपरा है कि सुहागिन महिलाएं मां धूमावती का पूजन नहीं करती, बल्कि दूर से ही मां के दर्शन करती हैं।