आलिया की 'राजी' को नहीं मिला नेशनल अवॉर्ड तो नाराज हुआ लेखक, मेकर्स पर लगाए ऐसे आरोप

विक्की कौशल और आलिया भट्ट स्टारर फिल्म 'राजी' पिछले साल 2018 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर शानदार कमाई की थी। लेकिन, अब फिल्म के लेखक हरिंदर सिक्का निर्माता और निर्देशक पर आरोप लगाते हुए बोले कि मेकर्स ने उनकी कहानी के साथ न्याय नहीं किया है।

Asianet News Hindi | Published : Dec 17, 2019 10:04 AM IST

मुंबई. विक्की कौशल और आलिया भट्ट स्टारर फिल्म 'राजी' पिछले साल 2018 में रिलीज हुई थी। इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर शानदार कमाई की थी। लेकिन, अब फिल्म के लेखक हरिंदर सिक्का निर्माता और निर्देशक पर आरोप लगाते हुए बोले कि मेकर्स ने उनकी कहानी के साथ न्याय नहीं किया है। हरिंदर का कहना है कि अगर फिल्म उनकी कहानी के हिसाब से चलती तो पक्का राष्ट्रीय पुरस्कार पाती। दरअसल, हाल ही में मुंबई में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस दौरान ही उन्होंने फिल्म को लेकर ये बात कही।  

इस किताब पर आधारित है फिल्म की कहानी 

आलिया की 'राजी' हरिंदर सिक्का की लिखी हुई किताब 'कॉलिंग सहमत' पर आधारित है। वो फिल्म में दिखाए गए 'तिरंगा सीन' से नाखुश हैं, जो कि 1971 में हुए भारत-पाक युद्ध की सच्ची घटना पर आधारित है। यह कहानी एक जवान कश्मीरी लड़की सहमत के आसपास घूमती है, जो अपने देश के लिए एक पाकिस्तानी अफसर से शादी करती है और एक जासूस बनकर वहां की सारी जानकारी भारत तक पहुंचाने का काम करती थी। उस जासूस लड़की के किरदार में आलिया भट्ट और पाकिस्तान अफसर के किरदार में विक्की कौशल फिल्म में होते हैं। इसके साथ ही आलिया की मां का रोल उनकी रियल मदर सोनी राजदान ही प्ले करती हैं। 

हरिंदर सिक्का ने कही ये बात

हरिंदर सिक्का का कहना था, 'किताब की कहानी के अंत में सहमत तिरंगे को सलाम करती है और निर्देशक ने फिल्म से ये सीन काट दिया था। इस सीन को लेकर सिक्का ने मेकर्स से कहा था कि अगर वो इस सीन को काटेंगे तो ये फिल्म राष्ट्रीय पुरस्कार नहीं जीत पाएगी। हालांकि, यह निर्माताओं की मर्जी से हुआ था, लेकिन वो अभी भी उनसे नाराज हैं। किताब के बारे में बात करते हुए हरिंदर कहते हैं कि वो एक ऐसे व्यक्ति हैं, जिसने कभी कोई किताब नहीं लिखी और उनकी पहली किताब 'कॉलिंग सहमत' की लगभग पांच लाख कॉपियां बिकीं। सहमत ने उन्हें जीने का तरीका सिखाया। सभी बहुत आसानी से सभी कश्मीरी मुस्लिमों को आतंकवादी कहकर एक ही तराजू में तोल देते हैं। 

इसके साथ ही हरिंदर सिक्का कहते हैं कि सभी को समझना चाहिए कि कोई मां अपने बच्चे के बस्ते में कंकड़ भरना नहीं चाहेगी। कश्मीर में आतंकवाद को बहुत लंबे समय से फंडिंग मिल रही है, लेकिन बहुत से कश्मीरी ऐसे भी हैं, जो अपनी पूरी जिंदगी अपने देश पर न्यौचावर करने के लिए तैयार होते हैं। धारा 370 हटने से वहां बहुत से बदलाव आए हैं। उनकी अलगी किताब उसी पर आधारित होगी और प्रेरणा फिर से सहमत है।
 

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