पाकिस्तान में फंसे प्रोड्यूसर के बच्चे, बॉम्बे हाईकोर्ट का केंद्र को निर्देश- उन्हें भटकने के लिए ना छोड़ें

सोमवार को बॉम्बे हाई कोर्ट में जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस पी के चव्हाण की डिवीजनल बेंच ने बॉलीवुड प्रोड्यूसर मुश्ताक नाडियाडवाला द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की। इस याचिका में निर्माता के दो नाबालिग बच्चों की सुरक्षित वापसी की सुविधा के लिए सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी।

Akash Khare | Published : Sep 12, 2022 12:40 PM IST

एंटरटेनमेंट डेस्क. हाल ही में बॉलीवुड फिल्म निर्माता मुश्ताक नाडियाडवाला ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर करके यह दावा किया था कि उनके दो बच्चों (एक नौ साल का बेटा और छह साल की एक बेटी ) को उनकी पत्नी और उसके परिवार वालों द्वारा पाकिस्तान में अवैध रूप से जबरदस्ती रखा गया है। अब इस मामले में सोमवार को बॉम्बे हाई कोर्ट ने केंद्र को निर्देश देते हुए कहा कि वे कैसे भी करके यह पता लगाएं कि फिल्म निर्माता मुश्ताक नाडियाडवाला के बच्चे कहां हैं और इस मामले में उनके दर-दर भटकने पर मजबूर न करें।  

निर्माता ने की पत्नी की वापसी की भी मांग की
सोमवार को जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस पी के चव्हाण की डिवीजनल बेंच ने नाडियाडवाला द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की जिसमें निर्माता के दो नाबालिग बच्चों की सुरक्षित वापसी की सुविधा के लिए सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी। निर्माता का कहना है कि यदि उनकी पत्नी को उनके परिवार द्वारा अनुचित प्रभाव से पाकिस्तान में रखा जा रहा है तो वे अपनी पत्नी की वापसी की भी मांग करते हैं। बता दें कि हाई कोर्ट ने पिछले महीने केंद्रीय विदेश मंत्रालय को याचिका पर जवाब देने का निर्देश दिया था और MEA के मुख्य पासपोर्ट और वीजा (CPV) कार्यालय के एक अधिकारी को नाडियाडवाला से मिलने का भी निर्देश दिया था।

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2 सितंबर को लिखा था मेल, अब तक नहीं मिला जवाब
इस मामले में नाडियाडवाला के वकील बेनी चटर्जी ने सोमवार को पीठ को बताया कि CPV के संयुक्त सचिव को एक ईमेल भेजा गया था, जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि यह मामला विदेश मंत्रालय के प्रवासी भारतीय मामलों के विभाग के दायरे में आता है। इसके बाद याचिकाकर्ता ने इस विभाग को 2 सितंबर को एक मेल लिखा था, लेकिन अभी तक इसका कोई जवाब नहीं मिला है। वहीं विदेश मंत्रालय की ओर से पेश अधिवक्ता आशीष चव्हाण ने निर्देश मांगने के लिए और समय मांगा।

पीठ ने लगाई फटकार, बोले- 'भटकने को मजबूर न करें'
इस बारे में पीठ ने कहा कि 'विदेश मंत्रालय को इस मामले को हल्के में न लेते हुए इसमें सहयोग करना चाहिए। उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस मुद्दे का समाधान हो। संबंधित अधिकारी ने याचिकाकर्ता को जवाब क्यों नहीं दिया? उसे (याचिकाकर्ता को) विदेश मंत्रालय के भीतर ही दर-दर भटकने के लिए मजबूर न करें। कम से कम किसी कॉन्टेक्ट नंबर या ईमेल का पता लगाएं जिससे याचिकाकर्ता (नाडियाडवाला) और उनके बच्चों के बीच संवाद संभव हो सके। पीठ ने इस मामले की अगली सुनवाई 21 सितंबर को रखते हुए विदेश मंत्रालय को याचिका का जवाब देने और उचित कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।

10 महीने से देश नहीं लौटी पत्नी और बच्चे
याचिका के अनुसार, नाडियाडवाला ने अप्रैल 2012 में पाकिस्तान में मरियम चौधरी से शादी की जिसके बाद वह भारत आईं और भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया। दंपति के दो बच्चे थे। नवंबर 2020 में चौधरी भारत छोड़कर दो बच्चों के साथ पाकिस्तान गईं और तब से अभी तक वापस नहीं लौटीं। नाडियाडवाला ने अपनी याचिका में दावा किया कि चौधरी का ब्रेनवॉश किया गया या उन्हें पाकिस्तान में रहने के लिए मजबूर किया गया है।

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