सलमान खान की फिल्म 'बजरंगी भाईजान', 'एक था टाइगर' जैसी फिल्में डायरेक्ट कर चुके एक्टर कबीर खान इन दिनों अपकमिंग मूवी '83' को लेकर चर्चा में हैं। इसमें टीम इंडिया की 1983 विश्व कप जीत की कहानी को दिखाया जाएगा।
मुंबई. सलमान खान की फिल्म 'बजरंगी भाईजान', 'एक था टाइगर' जैसी फिल्में डायरेक्ट कर चुके एक्टर कबीर खान इन दिनों अपकमिंग मूवी '83' को लेकर चर्चा में हैं। इसमें टीम इंडिया की 1983 विश्व कप जीत की कहानी को दिखाया जाएगा। इसमे रणवीर सिंह कपिल देव की भूमिका में नजर आएंगे। इसके साथ ही हाल ही में कबीर सिंह ने NRC और CAA पर अपनी राय रखी है। उनका मानना है सरकार को ये देखना चाहिए कि इस मामले में अपने पक्ष को ऊपर रखने से कुछ हासिल होने वाला नहीं है।
कबीर खान ने जताया दुख
दरअसल, हाल ही में कबीर में सिंह एक इंटरव्यू में पहुंचे थे। उनसे इस दौरान देशभर में चल रहे सीएए और एनआरसी को लेकर विरोध प्रदर्शन पर सवाल किए गए, जिस पर उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि वो इसके चलते काफी दुखी हैं। कबीर कहते हैं कि वो कोई पॉलिटिकल एक्टिविस्ट नहीं हैं, लेकिन वो फिर भी इस पर अपना रिएक्शन दे रहे हैं क्योंकि उनकी जामिया और जेएनयू से यादें जुड़ी हैं। उन्होंने इस मामले में एक नॉर्मल सिटिजन की तरह की रिएक्ट किया, जो कि दो स्तर पर था।
सीएए को लेकर कबीर बोले-
सीएए को लेकर कबीर कहते हैं कि जब सिटिजनशिप के बारे में बात की जाती है, तो इसमें ये देखना होगा कि भारत जैसे देश को, सेक्युलरिज्म ने समृद्ध किया है। जब देश में सिटिजनशिप की बात धर्म के आधार पर की जाती है तो ये संविधान के खिलाफ हो जाती है, ये भारत की आत्मा के खिलाफ हो जाती है। दूसरी समस्या ये है कि इस कानून से जुड़े प्रोटेस्ट्स को जिस तरीके से डील किया गया है। सभी लोकतांत्रिक देश में रहते हैं। लोग हर पांच साल में वोट डालकर एक प्रतिनिधि चुनते हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि लोगों को पांच सालों तक चुप ही बैठना है। ये एक तेजी से चलने वाली प्रक्रिया है और इस दौरान अपना ओपिनियन लोगों के सामने रखना, अपनी पसंद और नापसंद के बारे में बात करना भी लोगों का एक महत्वपूर्ण अधिकार है।
लोगों द्वारा किए जा रहे प्रदर्शन पर बोले कबीर
CAA और NRC को लेकर देशभर में विरोध चल रहा है। कोई इसके पक्ष में अपनी राय रख रहा है तो कोई इसके विपक्ष में अपनी बात रख रहा है। ऐसे में कबीर ने कहा कि भारत के कई हिस्सों में लोग लगातार सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका मानना है कि सरकार की ये जिम्मेदारी है कि वे लोगों तक पहुंचे और उनकी बात सुने। वे कहते हैं कि उन्हें ये बात नहीं पता है कि इस मामले में कैसे आगे बढ़ना है, लेकिन उनका कहना है कि इसका कोई ना कोई रास्ता तो जरूर होगा, जिसके सहारे सड़कों पर उतरे लाखों लोगों की बैचेनी और परेशानियों को सुलझाने की कोशिश की जाएगी। कबीर अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहते हैं कि अगर सीएए के साथ वाकई में कोई दिक्कत नहीं है तो सरकार को इस बारे में लोगों को सहजता महसूस करवाना चाहिए। कबीर का मानना ये भी है कि सरकार को ये देखना चाहिए कि इस मामले में अपने पक्ष को ऊपर रखने से कुछ हासिल होने वाला नहीं है।