ग़ज़ल गायक भूपिंदर सिंह नहीं रहे, 'मेरी आवाज़ ही पहचान है' के सिंगर ने मुंबई के अस्पताल में ली अंतिम सांस

Published : Jul 18, 2022, 10:00 PM ISTUpdated : Jul 18, 2022, 11:20 PM IST
ग़ज़ल गायक  भूपिंदर सिंह नहीं रहे,  'मेरी आवाज़ ही पहचान है' के सिंगर ने मुंबई के अस्पताल में ली अंतिम सांस

सार

प्रसिध्द ग़ज़ल गायक गायक भूपेंद्र सिंह ने दिल ढूंढ़ता है फिर वही, एक अकेला इस शहर’, ‘किसी नजर को तेरा इंतजार आज भी है’, ‘होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा’ जैसे गानों से  श्रोताओं को अपना मुरीद बना लिया था। उनके निधन से संगीत जगत को अपूर्णीय क्षति हुई है।  

एंटरटेनमेंट डेस्क Ghazal singer Bhupinder Singh passed away :  ‘मेरी आवाज ही पहचान है, गर याद रहे।’ जैसे गीत गाने वाले देश के प्रसिध्द ग़ज़ल गायक  भूपेंद्र सिंह का मुंबई के एक अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया है । भूपेंद्र सिंह ने बॉलीवुड को अपनी रूहानी आवाज़ में के कई हिट सांग दिए हैं।  दिल ढूंढ़ता है फिर वही’, ‘एक अकेला इस शहर’, ‘किसी नजर को तेरा इंतजार आज भी है’, ‘होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा’,  जैसे ग़ज़लो को  अपनी आवाज़ देकर भूपेंद्र सिंह ने इन नज़म को अमर कर दिया है। उनके गाए गीतों ने संगीत की दुनिया में एक अलग मुकाम बनाया है। 

संगीत से भटक गया था मन
भूपेंद्र सिंह का जन्म 6 फरवरी, 1940 को अमृतसर में हुआ था। उनके पिता नत्था सिंह प्रोफेसर थे, भूपेंद्र के संगीत क्षेत्र में उनके  पहले गुरू थे। भूपेंद्र के फादर बेहतरीन म्यूजिक डायरेक्टर भी थे। नत्था, संगीत की बारीकियों को लेकर अक्सर भूरेंद्र को समझाइश देते रहते  थे, इसको लेकर एक समय ऐसा भी आया जब भूपिंदर का ध्यान संगीत से भटकने लगा था। हालांकि संगीत में रचे बसे इस परिवार का सदस्य म्यूजिक से ज्यादा समय तक दूर नहीं रह सका, भूपिंदर को तो संगीत की दुनिया में लौटना ही था, वे अब इस फील्ड में करियर बनाने के लिए लौट आए थे। 

ऑल इंडिया रेडियो से शूरू किया गायिका का सफर
 भूपेंद्र ने अपने करियर की शुरुआत  आकाशवाणी में गायन की प्रस्तुति करके दी थी। भूपिंदर ग़ज़ल गायिकी के अलावा वायलिन और गिटार बजाने में भी महारत रखते थे । संगीतकार मदन मोहन ने भूपेंद्र सिंह को फिल्म ‘हकीकत’ में मौका दिया, इसमें उन्होंने मोहम्मद रफी के साथ जुगलबंदी में  ‘होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा’ गाने में अपनी गायिकी का हुनर दिखाया था। यह गाना उस दौर का सुपरहिट गीत साबित हुआ था।  हालांकि  भूपेंद्र को असल पहचान गुलज़ारके लिखे  गाने ‘वो जो शहर था’ से मिली। 

इन फिल्मों में की एक्टिंग
भूपेंद्र सिंह ने एक इंटरव्यू में बताया था कि कैसे डायरेक्टर ने उनसे दो फिल्मों में गाने के साथ एक्टिंग भी करवा ली थी। उन्होंने बताया था कि मैंने कभी फिल्मों में 'एक्टिंग' करूं, यह बात मेरे ज़ेहन में कभी आई नहीं थी, मैं तो बस यहां गाने के लिए आया था, पता नहीं चेतन जी को मुझमें क्या दिखाई दिया, मेरा गाना जिसकी प्लेबैक सिंगिंग मैं ने की थी, ये फिल्म थी हकीकत, वहीं एक और फिल्म उन्होंने एक्टिंग की थी, ये मूवी थी आखिरी खत।  

भूपेंद्र सिंह ने आज यानि 18 जुलाई को 82 वर्ष की उम्र में इस दुनिया से अंतिम विदाई ली है। उनके इस तरह चले जाने से संगीत जगत को बड़ा नुकसान हुआ है।  
 

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