इस पुरस्कार की शुरुआत 1969 में हुई थी। इस साल दादा साहब फाल्के का जन्म शताब्दि वर्ष था। इस पुरस्कार के अंतर्गत विजेता को दस लाख रुपए नकद, एक गोल्ड मेडल व एक शॉल प्रदान की जाती है।
मुंबई. बॉलीवुड के महानायक कहे जाने वाले एक्टर अमिताभ बच्चन को सिनेमा जगत का सबसे बड़ा पुरस्कार दादा साहेब फाल्के से सरकार द्वारा नवाजा जाएगा। इस बात की जानकारी सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावेड़कर ने मंगलवार को दी। भारत सरकार की ओर से भारतीय सिनेमा में आजीवन योगदान के लिए दादा साहेब फाल्के पुरस्कार दिया जाता है। ये वार्षिक पुरस्कार है। इस पुरस्कार की शुरुआत 1969 में हुई थी। इस साल दादा साहब फाल्के का जन्म शताब्दि वर्ष था। इस पुरस्कार के अंतर्गत विजेता को दस लाख रुपए नकद, एक गोल्ड मेडल व एक शॉल प्रदान की जाती है। ऐसे में इस 50 सालों में ये अवॉर्ड पाने वाले बिग बी बॉलीवुड के 12वें सितारे हैं।
देविका रानी को मिला था पहला अवॉर्ड
1969 में शुरू किए गए दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड को पहली बार देविका रानी अपने नाम किया था। उन्हें भारतीय सिनेमा की पहली महिला अभिनेत्री भी कहा जाता है, जिन्होंने ये इस पुरस्कार को अपने नाम किया। एक्ट्रेस ने हिंदी सिनेमा जगत में 1933 में एंट्री की थी और पहली भारतीय फिल्म कंपनी बॉम्बे टॉकिज की शुरुआत की थी। इनके बाद 1971 में पृथ्वीराज कपूर को भारतीय सिनेमा में उनके योदगान के लिए दादा साहेब फाल्के पुरस्कार दिया गया था। पिता की विरासत को आगे बढ़ाते हुए राजकपूर ने भी 1987 में इस अवॉर्ड को अपने नाम किया। यहां देखें बाकी की लिस्ट...
वर्ष (समारोह) | नाम | फिल्म इंडस्ट्री |
1969 (17वीं) | देविका रानी | हिन्दी |
1971 (19वीं) | पृथ्वीराज कपूर | हिन्दी |
1973 (21वीं) | रूबी मयेर्स (सुलोचना) | हिन्दी |
1987 (35वीं) | राज कपूर | हिन्दी |
1988 (36वीं) | अशोक कुमार | हिन्दी |
1994 (42वीं) | दिलीप कुमार | हिन्दी |
2002 (50वीं) | देव आनन्द | हिन्दी |
2012 (60वीं) | प्राण | हिन्दी |
2014 (62वीं) | शशि कपूर | हिन्दी |
2015 (63वीं) | मनोज कुमार | हिन्दी |
2017 (65वीं) | विनोद खन्ना | हिन्दी |
2018 (66वीं) | अमिताभ बच्चन | हिंदी |
कौन थे दादा साहेब फाल्के
दादा साहेब फाल्के ने भारत की पहली साइलेंट फिल्म 'राजा हरिश्चंद्र' बनाई थी। फाल्के का जन्म अप्रैल 1870 में एक मराठी परिवार में हुआ था। उन्होंने नासिक में पढ़ाई की। इसके बाद वे मुंबई में सर जेजे स्कूल ऑफ आर्ट स्कूल में नाटक और ट्रेनिंग ली। इसके बाद वे जर्मनी चले गए। वहां उन्होंने फिल्म बनाना सीखा। वहां से लौटने के बाद उन्होंने पहली फिल्म हरिश्चंद्र बनाई।