ये हैं 4 वजहें जिनके चलते प्रियंका की फिल्म को मिले इतने स्टार

प्रियंका चोपड़ा ने शोनाली बोस के डायरेक्शन में बनी फिल्म 'द स्काई इज पिंक' से बॉलीवुड में तीन साल बाद वापसी की है। आखिरी बार उन्हें 2016 में रिलीज हुई फिल्म 'जय गंगाजल' में देखा गया था। इसे प्रकाश झां ने डायरेक्ट किया था। मूवी में अपने दमदार किरदार से एक्ट्रेस ने खूब वाह-वाही बटोरी थी।

Asianet News Hindi | Published : Oct 11, 2019 8:16 AM IST

मुंबई. प्रियंका चोपड़ा और फरहान अख्तर स्टारर फिल्म 'द स्काई इज पिंक' 11 अक्टूबर को सिनेमाघरों में रिलीज की गई है। 149 मिनट इस बायोग्राफिकल को दर्शकों से अच्छा रिस्पांस मिलता दिखाई दे रहा है। मूवी में प्रियंका और फरहान के अलावा जायरा वसीम और रोहित सर्राफ ने भी अहम भूमिका अदा की है। मीडिया रिपोर्ट्स में प्रियंका की मूवी को 5 में से 3/5 स्टार मिले हैं। इसका डायरेक्शन शोनाली बोस ने किया है। फिल्म को 3/5 स्टार मिलने के पीछे 4 वजहें हैं... 

हकीकत से कराती है रूबरू 

'द स्काई इज पिंक' की कहानी सच्चाई से रूबरू कराती है। इसमें जिंदगी और मौत के बीच की कशमकश को दिखाया गया है। इसमें नीरेन और अदिती चौधरी के तकलीफ भरे जीवन को दिखाया गया है, जो अपनी आंखों के सामने लाइलाज बीमारी से जूझती बेटी का असहनीय दर्द देखने के लिए मजबूर हैं। उनकी बच्ची की परेशानी जिंदगी से मौत तक का तय करता सफर है। शोनाली के सारे किरदार जिंदगी की इस कड़वी हकीकत को बखूबी परोसते हैं। 

स्टोरी प्रजेंस 

बायोपिक की कहानी को शोनाली और नीलेश मनियार ने स्क्रीन पर अच्छे से प्रजेंट किया। उन्होंने नीरेन और अदिती चौधरी समेत उनसे जुड़े हर किरदार को बखूबी दिखाया है। स्क्रीनप्ले और डायलॉग्स में जरा सी ढिलाई और कुछ मौकों पर कलाकारों की लाउड एक्टिंग के चलते फिल्म ऊंचे स्केल पर नहीं पहुंच पाई है।

प्रियंका और फरहान की शानदार एक्टिंग

फिल्म में प्रियंका और फरहान ने अपने-अपने किरदार के साथ पूरी तरह से न्याय किया है। एक मां के लिए उसकी बेटी की बेहतरी के सिवाय कोई और मसकद नहीं होता है, जिसे एक्ट्रेस ने शानदार अभिनय के साथ पेश किया है। वहीं, फरहान ने भी पिता के रोल में खुद को ढाल लिया। बेटी को लेकर पिता के डर को स्क्रीन पर उन्होंने बेहतर तरीके से प्रजेंट किया है।  

डायरेक्शन

शोनाली बोस ने 'द स्काई इज पिंक' का डायरेक्शन बेहतर ढंग से किया है। उन्होंने कहानी के हर एक पहलू को छूने की कोशिश की है। स्टोरी की कसावट और इसका डायरेक्शन ही दर्शकों को कुर्सी से बांधे रखती है।

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