बच्ची ने सोनू सूद से लगाई मदद की गुहार, नहीं ले पा रही थी ऑनलाइन क्लास तो एक्टर ने ऐसे की मदद

सोनू सूद को इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया ने पंजाब स्‍टेट आइकन के रूप में अपॉइंट किया है। इस बारे में सोमवार को कमीशन की तरफ से आधिकारिक बयान भी जारी किया गया। बयान में पंजाब चीफ इलेक्‍टोरल ऑफिसर (सीईओ) एस करुणा राजू ने कहा कि एक्‍टर के ऑफिस की ओर से इस संबंध में ईसीआई को प्रस्‍ताव भेजा गया था।

Asianet News Hindi | Published : Nov 18, 2020 5:50 AM IST

मुंबई/भटिंडा. सोनू सूद को इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया ने पंजाब स्‍टेट आइकन के रूप में अपॉइंट किया है। इस बारे में सोमवार को कमीशन की तरफ से आधिकारिक बयान भी जारी किया गया। बयान में पंजाब चीफ इलेक्‍टोरल ऑफिसर (सीईओ) एस करुणा राजू ने कहा कि एक्‍टर के ऑफिस की ओर से इस संबंध में ईसीआई को प्रस्‍ताव भेजा गया था। इसके बाद कमीशन ने भी इसे मंजूरी दे दी। ऐसे में स्टेट आइकन बनते ही उन्होंने भटिंडा के स्कूल के गरीब बच्चों की मदद की है। उन्होंने छात्रों को स्मार्टफोन्स गिफ्ट किए हैं। बच्चे नहीं ले पा रहे थे ऑनलाइन क्लासेस...

दरअसल, कोरोना महामारी के चलते देशभर में अभी स्कूल और कॉलेजों को नहीं खोला गया है। इस वजह से टीचर्स बच्चों का साल खराब ना जाए इसलिए ऑनलाइन ही क्लासेस ले रहे हैं। ऐसे में भटिंडा से एक बच्ची ने 9 सेकेंड की वीडियो क्लिप शेयर की थी और इसमें उसने मदद की गुहार लगाई थी कि वो स्मार्टफोन ना होने के कारण ऑनलाइन क्लासेस नहीं ले पा रही है। इस वीडियो को देखते हैं सोनू सूद का ग्रुप एक्टिव हो गया था।   

फिर दिखाई सोनू सूद ने दरियादिली, ऑनलाइन पढ़ाई के लिए बच्चों को बांटे  स्मार्टफोन - sonu sood provides smartphones to government school  students-mobile

तीन दिन के अंदर बच्चों तक पहुंचे सोनू सूद 

बच्ची का वीडियो देखने के बाद सोनू सूद का ग्रुप एक्टिव हो गया और वो महज तीन दिन के अंदर बच्ची तक पहुंच गए। उन्होंने स्लम एरिया से आने वाले 13 स्टूडेंट्स की मदद की और उन्हें ऑनलाइन क्लास लेने के लिए स्मार्टफोन्स दिए। बच्चों तक वो फोन रविवार शाम तक पहुंच जाएंगे। बच्चे सरकारी स्कूल के छात्र हैं, लेकिन उन्हें एक एनजीओ के वॉलंटियर्स के द्वारा कोचिंग दी जा रही थी। 

लॉकडाउन में भी लोगों की मदद कर रहे थे सोनू सूद

इससे पहले लॉकडाउन में भी सोनू सूद ने लोगों की मदद की थी। प्रवासी मजदूरों के लिए बसें चलवाई थी और उन्हें उनके परिवार और घर भेजा था। इतना ही नहीं रास्ते में पैदल चलने वालों के लिए खाने-पीने के इंतजाम भी किए थे। 
 

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