मुश्किल हालात में भी जीवन जीना सिखाती है सुशांत की 'दिल बेचारा', इन वजहों से देख सकते हैं फिल्म

'एक था राजा एक थी रानी दोनों मर गए खत्म कहानी' कुछ ऐसी ही सुशांत सिंह राजपूत और संजना सांघी स्टारर फिल्म 'दिल बेचारा'। सुशांत की मौत के पूरे डेढ़ महीने बाद उनकी आखिरी फिल्म OTT प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुई है। ये मूवी उनके फैंस को काफी पसंद आ रही है और लोग उनकी एक्टिंग की भी जमकर तारीफ कर रहे हैं।

मुंबई. 'एक था राजा एक थी रानी दोनों मर गए खत्म कहानी' कुछ ऐसी ही सुशांत सिंह राजपूत और संजना सांघी स्टारर फिल्म 'दिल बेचारा'। सुशांत की मौत के पूरे डेढ़ महीने बाद उनकी आखिरी फिल्म OTT प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुई है। ये मूवी उनके फैंस को काफी पसंद आ रही है और लोग उनकी एक्टिंग की भी जमकर तारीफ कर रहे हैं। सुशांत की आखिरी फिल्म की थीम इमोशनल है और वो मुश्किल हालातों में भी जीवन जीना और खुश रहना सीखाती है। इसमें बताया गया है कि जन्म लेना और मरना अपने बस में नहीं है, लेकिन जीवन को जीना कैसे है वो हमें तय करना है। ऐसी थीम पर बॉलीवुड में इससे पहले 'कल हो ना हो', 'आनंद' और 'अंखियों के झरोखे से' जैसी फिल्में बनाई जा चुकी है। 

'दिल बेचारा' का थीम है मौत और प्यार, और अजीब बात है कि सुशांत की रियल लाइफ मौत ने भी सबके लिए सवाल पैदा कर दिए लेकिन इस फिल्म में उन्होंने मौत के लड़ने के कई फलसफे बताए हैं।

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कहानी

सुशांत ने फिल्म में एक मैनी का किरदार निभाया है, जो एक दिव्यांग होते हुए भी जिंदगी खुल के जीता है और उसकी मुलाकात होती है थाइरॉयड कैंसर से जूझ रही बंगाली लड़की कीजी बासु से। कीजी हमेशा एक ऑक्सीजन सिलिंडर लेकर साथ चलती है, और जिंदगी में हमेशा दुखी रहती है। जब दुखी कीजी खुशनुमा मैनी से मिलती है तो उसकी जिंदगी बदल जाती है। मौत से लड़ते-लड़ते कीजी और मैनी दोनों करीब आ जाते हैं। कीजी के हर सपने को पूरा करके मैनी पूरी कोशिश करता है पर आखिर में खुद जिंदगी से खुशी-खुशी लड़ते हुए चला जाता है, लेकिन मरते-मरते वो कीजी को जीवन में प्यार देकर खुश रहने का मंत्र दे जाता है। इसकी स्टोरी पूरे समय दर्शकों को बांधे रखती है। इसमें हर मूवमेंट कहीं ना कहीं हर किसी की जिंदगी से जोड़ने की कोशिश की गई है। 

ये फिल्म मशहूर नॉवेलिस्ट जॉन ग्रीन की किताब 'दा फाल्ट इन आवर स्टार्स' पर आधारित है। जिस पर दो साल पहले एक अंग्रेजी फिल्म भी बन चुकी है। अमेरिका का लोकेशन यहां जमशेदपुर बन गया है और फिल्म को शुद्ध देसी और आज के जमाने का बनाया गया है। जमशेदपुर की गलियों से कहानी पेरिस भी जाती है।

 

जबरदस्त है सुशांत और संजना की केमिस्ट्री

फिल्म का मुख्य आकर्षण सुशांत और संजना की केमिस्ट्री है। संजना ने कीजी बासु के किरदार को बड़ी ही खूबसूरती से निभाया है। फिल्म में ढेर सारे क्यूट मोमेंट्स हैं जो दर्शकों को अच्छे लगेंगे। सुशांत ने 'छिछोरे' और 'धोनी' के बाद एक और मंझी हुई परफॉर्मेंस दी है। फिल्म 'उड़ान' के बाद जमशेदपुर के लोकेशंस काफी अच्छे लगे हैं।

ए आर रहमान ने दिया है फिल्म का संगीत

क्रिटिक्स के अनुसार बताया जा रहा है कि सुशांत सिंह राजपूत की आखिरी फिल्म होने की वजह से फिल्म को ज्यादा लोग देखेंगे चूंकि फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज नहीं हुई है। डिजिटल माध्यम से इससे ज्यादा लोग देख पाएंगे। फिल्म का विषय हल्का फुल्का नो होकर थोड़ा संजीदा होने से मूवी में मनोरंजन का पुट थोड़ा कम है। फिल्म में ए आर रहमान ने संगीत दिए हैं, जो काफी शानदार है। इसके गाने कहानी को जोड़ता है।

डायरेक्शन

सुशांत और संजना के अलावा फिल्म में बांग्ला फिल्मों के कलाकार जैसे स्वास्तिक मुखर्जी, शाश्वता, साहिल वेद ने भी अपने किरदारों को खूबसूरती से निभाया है। सैफ अली खान का रोल फिल्म में खास है। फिल्मों के कास्टिंग डायरेक्टर के रूप में मशहूर मुकेश छाबड़ा ने इसमें किरदारों के इमोशंस को पेश करने की पूरी कोशिश की है। कुल मिलाकर सुशांत की आखिरी फिल्म के रूप में यादगार रहेगी 'दिल बेचारा'।

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