तापसी पन्नू स्टारर फिल्म 'थप्पड़' सिनेमाघरों में रिलीज की जा चुकी है। इस मूवी को अनुभव सिन्हा ने डायरेक्ट किया है। इसकी कहानी एक ऐसी शादीशुदा जिंदगी के बारे में है, जो कि एक 'थप्पड़' से बिखर जाती है। एक थप्पड़ इस रिश्ते को तलाक के दरवाजे तक ले आता है।
मुंबई. तापसी पन्नू स्टारर फिल्म 'थप्पड़' सिनेमाघरों में रिलीज की जा चुकी है। इस मूवी को अनुभव सिन्हा ने डायरेक्ट किया है। इसकी कहानी एक ऐसी शादीशुदा जिंदगी के बारे में है, जो कि एक 'थप्पड़' से बिखर जाती है। एक थप्पड़ इस रिश्ते को तलाक के दरवाजे तक ले आता है। दरअसल, ये कहानी किसी और की नहीं बल्कि तापसी पन्नू की है, जो कि मूवी में पावेल गुलाटी की पत्नी को रोल प्ले कर रही हैं। वो उन्हें थप्पड़ लगा देते हैं, जिसके बाद इनकी शादी टूटने के कगार पर पहुंच जाती है। 'थप्पड़' दर्शकों को काफी पसंद आ रही है और क्रिटिक्स की तरफ से 5 में से 4 स्टार दिए जा रहे हैं। ऐसे में उन वजहों के बारे में बता रहे हैं, जिनसे इस मूवी को देखने के लिए सिनेमाघर का रुख कर सकते हैं।
कहानी
तापसी पन्नू की 'थप्पड़' लोगों की उस सोच पर थप्पड़ मारती है, जो लोग अपनी पत्नी को मारने के बाद कहते हैं कि औरत हो इतना तो सहना पड़ेगा। साथ ही कहते हैं कि थोड़ा बर्दाश्त करना पड़ता है। गलती करोगी तो थप्पड़ खाओगी ही ना। थप्पड़ से ही तो प्यार का पता चलता है। ये कुछ ऐसे वाक्य हैं, जिन्हें लोग अक्सर बोला करते हैं। मूवी में तापसी अमृता और पवेल उनके पति विक्रम के किरदार में हैं। इसकी कहानी लोगों की सोच पर असर डालती है। फिल्म बेहद खामोशी से अपनी बात कहती है। तापसी ने संवादों के बजाए अपनी खामोशी के जरिये अपने दिल का समंदर उड़ेला है।
एक्टिंग
फिल्म में तापसी पूरी तरह अमृता के किरदार में रच-बस गई हैं, उन्होंने इस किरदार को जिया है। पवैल गुलाटी भी पत्नी की खुशियों को भूल चुके पति के किरदार में जमे हैं। इन दोनों के अलावा सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं कुमुद मिश्रा जो तापसी के पिता बने हैं। कुमुद की मौजूदगी वाला हर फ्रेम जिंदगी से भरा है। कुल मिलाकर मूवी में सभी एक्टर्स ने शानदार एक्टिंग की है।
म्यूजिक
'थप्पड़' का म्यूजिक भी बेहतरीन है। इसके म्यूजिक सिचुएशन में जान डालते हैं। ये दर्शकों के दिलों में घर कर जाते हैं। कहीं तेज बैकग्राउंड म्यूजिक का इस्तेमाल नहीं किया है। कुछ बात कहने के अपने सलीके की वजह से तो कुछ दो घंटे बाइस मिनट की लंबाई के चलते, फिल्म की गति धीमी मालूम होती है। इसकी लंबाई को कुछ कम किया जा सकता था।
डायरेक्शन
फिल्म की समय अवधि को थोड़ा कम किया जा सकता था, लेकिन इसे कहीं कहीं लगता है कि खींचा गया है, जिसे कम समय में दिखाया जा सकता था। बाकी, हर किरदार को स्क्रीन पर बराबर स्पेश मिला है। कहानी को बहुत बेहतरीन ढंग से बिना मसाले के पेश किया गया है।
मैसेज
तापसी पन्नू की फिल्म 'थप्पड़' लोगों की सोच पर वार करती है, जो महिलाओं को लेकर ये सोच रखते हैं कि उन्हें रिश्ते संभालने के लिए थोड़ा तो सहन करना पड़ता है। प्यार का पता चलता है। ये फिल्म बताती है कि प्यार जताने का तरीका थप्पड़ मारकर या मार पिटाई करके नहीं पता चलता है। उसे भी समाज में रहने का और हर पल को जीने का बराबर अधिकार है।