55 साल पुराने दोस्त की अंतिम विदाई में इमोशनल हुए उस्ताद जाकिर हुसैन, उन्हें लपेटे तिरंगे को सीने से लगा लिया

उस्ताद जाकिर हुसैन ने पंडित शिवकुमार शर्मा के रूप में अपना 55 साल पुराना अजीज दोस्त खो दिया है। उनकी एक नई फोटो सोशल मीडिया में वायरल हो रही है, जिसमें वे उदास और शांत भाव से अपने दोस्त के शव पर लपेटे गए तिरंगे को सीने से लगाए नजर आ रहे हैं।

मुंबई. भारत के महान संतूर वादक और फिल्म संगीतकार पंडित शिवकुमार शर्मा (Pandit Shivkumar Sharma) के निधन को चार दिन बीत चुके हैं। लेकिन उनके अंतिम संस्कार की फोटो लगातार सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। अब एक ऐसी फोटो सामने आई है, जिसमें पंडित शिवकुमार शर्मा के अजीज दोस्त मशहूर तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन (Ustad Zakir Hussain) साहब उनके शव पर लपेटे गए तिरंगे को अपने सीने से लगाए नजर आ रहे हैं। अपने दोस्त को खोने का दर्द मास्क लगा होने के बावजूद उनके चेहरे से साफ छलक रहा है।

जाकिर हुसैन को सौंपा तिरंगा

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दरअसल, मंगलवार (10  मई) को पंडित शिवकुमार शर्मा का हार्ट अटैक से निधन हुआ और बुधवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ मुंबई में अंतिम संस्कार किया गया। उस्ताद जाकिर हुसैन साहब खुद न केवल उनकी अर्थी को कंधा देने पहुंचे, बल्कि मुखाग्नि के बाद भी अपने दोस्त की चिता को टकटकी लगाए नम आंखों से देखते रहे। पंडित शिवकुमार शर्मा को चिता पर लिटाने के बाद पुलिस ऑफिसर्स ने उनके शव से तिरंगे को सम्मान के साथ हटाया और उसे उस्ताद जाकिर हुसैन के हाथ में सौंप दिया।

लगभग 55 साल पुरानी थी दोस्ती

पंडित शिवकुमार शर्मा और उस्ताद जाकिर हुसैन को कई मौकों पर साथ परफॉर्म करते देखा गया। उनकी दोस्ती लगभग 55 साल पुरानी थी। एक बातचीत में पंडित शिवकुमार शर्मा ने बताया था कि उन्होंने पहली बार 1967 में दादर, मुंबई के शिव मंदिर हॉल में परफॉर्म किया था। हालांकि, उस वक्त जाकिर हुसैन साहब महज 16 साल के थे और पंडित शिवकुमार शर्मा लगभग 29 साल के थे। शिवकुमार शर्मा ने कहा था कि उन्हें जाकिर हुसैन साहब के साथ वक्त गुजारना अच्छा लगता था। उनके शब्दों में, "मैं उनके केयरिंग नेचर से बहुत प्रभावित हूं। वह छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखते है, जैसे कि मुझे खाने में क्या पसंद है। लंबे समय तक विदेश में रहने के बाद भी वे अपनी संस्कृति नहीं भूले।"

न्यूयॉर्क में पाकिस्तानी ढाबा से आता था खाना

पंडित शिवकुमार शर्मा के पुराने इंटरव्यू के अनुसार उस्ताद जाकिर हुसैन और उनमें कई चीजें कॉमन थीं। वे कहते हैं, "हम दोनों को ही अच्छा खाना पसंद है। न्यूयॉर्क में एक पाकिस्तानी ढाबा है, जहां बहुत अच्छा सरसों का साग, मटन और चिकन मिलता है। हम अक्सर वहां जाते थे। वे हमेशा वहां जाते हैं और मेरी पसंद की चीजें उस होटल में लेकर आते हैं, जहां हम रुकते हैं। हम साथ में बैठकर खाना खाते हैं।"

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