मोदी सरकार के नए FDI नियमों पर खफा हुआ चीन, WTO के नियमों की दे रहा दुहाई

पिछले दिनों में भारत सरकार ने एफडीआई के नियमों को थोड़ा सख्त करते हुए निवेश के लिए सरकार की मंजूरी लेना अनिवार्य कर दिया था। भारत सरकार के इस कदम से चीन बुरी तरह से बौखला गया है। चीनी दूतावास की प्रवक्ता ने सोमवार को यह कि भारत का ये कदम स्पष्ट तौर पर चीन के निवेशकों के लिये ही है

Asianet News Hindi | Published : Apr 20, 2020 2:10 PM IST / Updated: Apr 20 2020, 07:42 PM IST

बिजनेस डेस्क: पिछले दिनों में भारत सरकार ने एफडीआई के नियमों को थोड़ा सख्त करते हुए निवेश के लिए सरकार की मंजूरी लेना अनिवार्य कर दिया था। भारत सरकार के इस कदम से चीन बुरी तरह से बौखला गया है। चीनी दूतावास की प्रवक्ता ने सोमवार को यह कि भारत का ये कदम स्पष्ट तौर पर चीन के निवेशकों के लिये ही है।

प्रवक्ता ने कहा कि भारत का यह कदम जी20 देशों के बीच बनी उस सहमति के भी खिलाफ है जिसमें निवेश के लिये मुक्त, उचित और भेदभाव रहित परिवेश पर जोर दिया गया है। 

क्या है मामला?

भारत ने पिछले सप्ताह अपनी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI)नीति में बदलाव करते हुये उसकी सीमा से लगने वाले पड़ोसी देशों से आने वाले विदेशी निवेश के लिये सरकारी मंजूरी लेना आवश्यक कर दिया। भारत का कहना है कि यह कदम कोरोना वायरस महामारी के चलते अवसर का लाभ उठाते हुये घरेलू कंपनियों के अधिग्रहण को रोकने के लिये यह कदम उठाया गया है। 

भारत ने क्यों उठाया था कदम? 

मालूम हो कि लॉकडाउन के चलते भारतीय कंपनियों के शेयरों में खासी गिरावट आयी है। जिन कंपनियों के शेयरों में गिरावट आयी है, उनमें भारत का बड़ा प्राइवेट बैंक एचडीएफसी भी शामिल है। बीते दिनों चीन के सेंट्रल बैंक पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने इसका फायदा उठाते हुए एचडीएफसी में 1.75 करोड़ शेयर खरीद लिए हैं। इस सौदे से भारत सरकार सावधान हुई और उसने अब इस तरह की एफडीआई पर लगाम लगाने के लिए एफडीआई नियमों में कुछ सख्ती की है।

डब्ल्यूटीओ के सिद्धांत का उल्लंघन

चीनी दूतावास की प्रवक्ता ने बयान जारी कर कहा है, ‘‘कुछ खास देशों से आने वाले निवेश के रास्ते में अतिरिक्त रुकावट खड़ी किया जाना डब्ल्यूटीओ के भेदभाव रहित सिद्धांत का उल्लंघन है। यह उदारीकरण, व्यापार एवं निवेश को बढ़ावा देने के सामान्य रुझान के भी खिलाफ है।’’ 

चीन का भारत में कुल 8 अरब डालर का निवेश 

बता दें कि चीन का भारत में कुल निवेश 8 अरब डालर से अधिक है। यह निवेश भारत की सीमाओं से लगते अन्य सभी देशों द्वारा किये गये निवेश से कहीं अधिक है। भारत के लिये चीन के साथ द्विपक्षीय व्यापार में बढ़ता व्यापार घाटा बड़ा मुद्दा रहा है। 

चीन के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2018 में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा बढ़कर 57.86 अरब डालर पर पहुंच गया जो कि 2017 में 51.72 अरब डालर पर था। इस घाटे को कम करने के लिये भारत चीन पर भारतीय सामान, विशेषतौर पर दवा एवं औषधि और सूचना प्रौद्योगिकी उत्पादों का अधिक से अधिक आयात करने पर जोर देता रहा है।

(फाइल फोटो)

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