कंपनियों के मुनाफे पर कोरोना का असर, म्यूचुअल फंड का 3.5 लाख करोड़ दांव पर

कोरोना वायरस महामारी का असर कंपनियों के मुनाफे पर भी दिखने लगा है। आर्थिक मामलों पर नजर रखने वालों का मानना है कि आने वाले दिनों में स्टॉक मार्केट पर इसका गंभीर असर देखने को मिल सकता है। 

बिजनेस डेस्क। कोरोना वायरस महामारी का असर कंपनियों के मुनाफे पर भी दिखने लगा है। आर्थिक मामलों पर नजर रखने वालों का मानना है कि आने वाले दिनों में स्टॉक मार्केट पर इसका गंभीर असर देखने को मिल सकता है। अगले कुछ महीनों में करीब 1000 बॉन्ड मेच्योर होने वाले हैं। इनमें से कुछ सिक्योरिटी के मामले में डिफॉल्ट हो सकते हैं। फिलहाल, निफ्टी 5- इंडेक्स 15 गुना के भाव पर कारोबार कर रहे हैं, लेकिन इस साल की शुरुआत से ईपीएस का अनुमान 11 फीसदी घट कर 600 रुपए पर आ गया है। इससे देश की जीडीपी में काफी कमी होने की आशंका जताई जा रही है। बता दें कि साल 2008 की आर्थिक मंदी के दौरान भारतीय शेयर बाजार में काफी गिरावट आई थी। 

बैंकों का डूबा 9.35 लाख कोड़ रुपए का कर्ज
अर्थव्यवस्था में आ रहे इस संकट के साथ बैंकों का 9.35 लाख करोड़ का कर्ज डूब चुका है। यह सितंबर 2019 तक के उनके कुल कर्ज का 9.1 फीसदी है। अनुमान जताया जा रहा है इस वित्त वर्ष के आखिर तक बैंकों का एनपीए बढ़ कर 18 से 20 फीसदी हो सकता है। यह बेहद गंभीर स्थिति होगी। 

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मयूचुअल फंड इंडस्ट्री को लग सकता है झटका
इस डिफॉल्ट का सबसे गहरा झटका म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री को लग सकता है। इस इंडस्ट्री के पास कुल 3.5 लाख करोड़ रुपए के डेट पेपर्स हैं, जो अगले 8 महीने में मेच्योर हो जाएंगे। लेकिन आने वाले समय में कुछ पेपर्स की रेटिंग घटाई जा सकती है, जिसका असर बहुत गंभीर होगा। इंडस्ट्री के विशेषज्ञों का मानना है कि AAA से कम रेटिंग पर जांच हो सकती है। रेटिंग एजेंसियों का कहना है कि AAA और A1 से कम रेटिंग वाले पेपर्स में 18,402 करोड़ रुपए का निवेश किया गया है। 

इन कंपनियों का डूब सकता है पैसा
इन स्थितियों में रिलांयस होम फाइनेंस, सिम्पलेक्स, रिलायंस ब्रॉडकास्ट नेटवर्क, हजारीबाग-रांची एक्सप्रेसवे, डीएचएफएल और एसेल इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसी कंपनियों का पैसा डूब सकता है। निवेश श्रेणी से ऊपर, लेकिन AAA से कम रेटिंग वाले कर्ज में जिंदल पावर, वोडाफोन आइडिया, भारती टेलिकॉम, टाटा मोटर्स फाइनेंस, श्रीराम ट्रांसपोर्ट, आशीर्वाद माइक्रोफाइनेंस, एलएंडटी इंफ्रा फाइनेंस, हीरो फिनकॉर्प, एचपीसीएल मित्तल एनर्जी और जेएसडब्ल्यू एनर्जी शामिल हैं। 

नकदी के संकट का सामना कर रहीं कंपनियां
कई कंपनियां नकदी के संकट का सामना कर रही हैं और उन्हें इस साल के अंत तक 7,137 करोड़ रुपए म्यूचुअल फंडों को चुकाने हैं। इन कंपनियों में एनबीएफसी और माइक्रोफाइनेंस इंडस्ट्री प्रमुख हैं। विश्लेषकों का कहना है कि इस साल के अंत तक हालात ठीक होने की उम्मीद नहीं है। एमके ग्लोबल का मानना है कि आइएलएंडएफएस संकट के बाद म्यूचुअल फंडों से एनबीएफसी के कर्ज में 17 फीसदी की गिरावट आई है। वहीं, क्रिसिल के रिसर्च हेड प्रसाद कोपरकर का कहना है कि ऑटो पार्ट, रियल एस्टेट, जेम, जूलरी, एयरलाइंस, मुर्गी पालन और मीट, टेक्स्टाइल और निर्माण जैसे सेक्टर मे कर्ज का जोखिम ज्यादा और इसका रेवेन्यू पर काफी बुरा असर पड़ेगा। 

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