बेंगलुरु के क्राइस्ट डीम्ड यूनिवर्सिटी (Christ Deemed University) में एमए के आखिरी सेमेस्टर के छात्र जॉनी 30 दिसंबर को केरल के उझावूर पंचायत की अध्यक्षता हासिल करने को तैयार हैं। हाल में जॉनी ने एक पंचायत में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में बहुमत से जीत हासिल करके इतिहास रच दिया है।
करियर डेस्क. इन दिनों मीडिया में एक 22 साल का युवा सरपंच काफी चर्चा में है। ये हैं जॉनी पी स्टीफन (Johnys P Stephen) जिनकी लाइफ रातो-रात बदल गई। वो एक ऑनलाइन फिल्म समीक्षक से डायरेक्ट देश के सबसे युवा पंचायत अध्यक्षों में से एक की लिस्ट में शामिल हो गए हैं।
बेंगलुरु के क्राइस्ट डीम्ड यूनिवर्सिटी (Christ Deemed University) में एमए के आखिरी सेमेस्टर के छात्र जॉनी 30 दिसंबर को केरल के उझावूर पंचायत की अध्यक्षता हासिल करने को तैयार हैं। हाल में जॉनी ने एक पंचायत में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में बहुमत से जीत हासिल करके इतिहास रच दिया है।
194 वोटों से जीत हासिल की
स्टीफन ने लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ), यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) और नेशनल डेमोक्रेटिक एलायंस (एनडीए) के उम्मीदवारों को हराकर वार्ड 4 (आरिककारा) में 194 वोटों से जीत हासिल की। उन्होंने 'वन इंडिया वन पेंशन' दल की ओर से ये चुनाव लड़ा।
पंचायत में किंगमेकर के रूप में उभरे
वन इंडिया वन पेंशन (OIOP) पंचायत में बहुत एक्टिव ग्रुप है। यूडीएफ और एलडीएफ दोनों को पांच-पांच सीटें हासिल करने के साथ, स्टीफन का समूह OIOP दो सीटों के साथ 13-वार्ड पंचायत में किंगमेकर के रूप में उभरा।
जीत गई, जनता का कल्याण करने वाली सोच
OIOP का लक्ष्य 60 साल से ज्यादा उम्र के सभी बुजुर्गों के लिए 10,000 रुपये की न्यूनतम पेंशन सुनिश्चित करना है। स्टीफन ने indianexpress.com को बताया, "यह आंदोलन पिछले सालों में क्षेत्र में सभी के बीच काफी लोकप्रियता हो गया है।"
उझावूर में कडुथुर्थी विधायक और लोक निर्माण विभाग के पूर्व मंत्री मोन्स जोसेफ बताते हैं कि, हमने के OIOP के युवा पार्षद जॉनी पी स्टीफन को उझावूर में पंचायत अध्यक्ष के रूप में खड़ा करने का फैसला किया है। इस तरह की साझेदारी से क्षेत्र में जन कल्याण होगा। एलडीएफ के खिलाफ मतदाताओं के बीच सत्ता विरोधी भावना पर भी विकसित करने पर विचार किया गया।
सरपंच का सपना है IAS बनना
जॉनी सरपंच तो बन गए लेकिन उनका सपना सिविल सेवा में जाने का है। वो कहते हैं कि, जनता के प्रतिनिधि होने के नाते अच्छे कर्म करने के लिए ज्यादा मौके मिलते हैं। हालांकि, मैंने अपने IAS के सपनों को नहीं छोड़ा है और अपनी पंचायत के लिए अगले पांच साल अच्छे से काम करने का वादा किया है और खुद के लिए भी। उन्होंने कहा कि पंचायत में उनका कार्यकाल एक आदर्श व्यक्तित्व विकसित करने के लिए आदर्श होगा।।"