10 साल की उम्र में डॉक्टरेट की दो डिग्री : आंध्र प्रदेश के इस अनोखे बच्चे के बारें में जानकर रह जाएंगे हैरान

डॉ. अरिपिराला योगानंद पिता के नक्शेकदम पर चलना चाहते हैं। उनका मकसद लोगों के जीवन में शांति और विश्वास लाना है। राशिफल पढ़ने के साथ-साथ ही वे अपना एक यू-ट्यूब चैनल भी चलाते हैं। जिसका नाम संस्कृति प्रोडक्शंस है।
 

करियर डेस्क : 10 साल की उम्र में कोई भी बच्चा किस क्लास में पढ़ता है? आपका जवाब होगा 5, 6 या 7.. जब इतनी छोटी सी उम्र में बच्चा छोटी-छोटी चीजों को समझ रहा होता है, तब उसी उम्र में आंध्र प्रदेश (Andhra Pradesh) का एक अनोखा बच्चा वो कर देता है, जो सोच से परे है। जी हां, 10 साल की उम्र में गुंटूर जिले में रहने वाले अरिपिराला योगानन्द शास्त्री ने डॉक्टरेट की एक नहीं बल्कि दो-दो डिग्रियां हासिल कर ली हैं। यकीन नहीं है तो खुद ही जान लीजिए इस ‘चाइल्ड प्रोडिजी’ यानी विलक्षण प्रतिभा का धनी बच्चे के बारें में...

 एस्ट्रोलॉजी में डॉक्टरेट की दो ऑनरेरी डिग्री
अरिपिराला योगानन्द शास्त्री (Aripirala Yogananda Sastry) छोटी सी उम्र में ही यज्ञ और पूजा कराते हैं। एस्ट्रोलॉजी में उनके पास डॉक्टरेट की दो ऑनरेरी डिग्री है। इस उम्र में ऐसा करने के लिए उनके नाम कई रिकॉर्ड भी दर्ज हो गए हैं। मैजिक बुक ऑफ रिकॉर्ड्स, इन्फ्लुएंसर बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स और हार्वर्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में उनका नाम दर्ज हुआ है। वैसे तो अरिपिराला सिर्फ पांचवीं क्लास में पढ़ते हैं लेकिन उन्होंने स्ट्रोलॉजी में डॉक्टरेट कर रखी है।

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ज्योतिष परिवार से आते हैं 10 साल के डॉ, अरिपिराला
डॉ. अरिपिराला योगानंद का फैमिली बैकग्राउंड ज्योतिष ही रहा है। दादा-दादी से लेकर माता-पिता तक 16 सालों से ज्योतिष की प्रैक्टिस और वैदिक अनुष्ठान के काम से जुड़े हुए हैं। अरिपिराला जब 5 साल के थे, तभी से उनकी इस तरफ रूच जगी थी। उनके पिता डॉ. अरिपिराला कल्याण शास्त्री ने बेटे के बारें में जानकारी देते हुए बताया कि जब उनका बच्चा 5 साल का था, तब उसने पहली बार सि काम में इंट्रेस्ट दिखाया था। इसी उम्र में अरिपिराला ने ज्योतिष, वास्तुशास्त्र, और वैदिक अनुष्ठान सिखनी शुरू कर दी थी। 

पांच साल में ही वैदिक कर्मकांड करने लगे
अरिपिराला पांच साल की उम्र से ही वैदिक कर्मकांडों में रम गए थे। लोगों की कुंडली पढ़ने की काबिलियत हासिल कर ली थी। छोटी सी उम्र में ही वे बिना किसी गलत उच्चारण के बड़े-बड़े मंत्र और भजन गा लेते थे। डॉ. योगानंद अब तक 70 हवन और कई यज्ञ करवा चुके हैं।

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