महमूद अकरम के पिता, जो एक मूर्तिकार हैं, उन्हें भी भाषाएँ सीखने का शौक है। वे 16 भाषाएँ जानते हैं। उन्होंने अपने बेटे को कई भाषाएँ सिखाईं ताकि भाषा कभी बाधा न बने।
महमूद ने केवल 6 दिनों में अंग्रेजी वर्णमाला और 3 हफ्तों में तमिल वर्णमाला सीख ली। अपनी भाषा प्रतिभा से उन्होंने कई उपलब्धियाँ हासिल की हैं।
8 साल की उम्र में उन्होंने बहुभाषी टाइपिंग में विश्व रिकॉर्ड बनाया। 10 साल की उम्र में 20 भाषाओं में राष्ट्रगान लिखकर सबको चौंका दिया। 12 साल की उम्र में 400 भाषाओं में महारत हासिल कर विश्व रिकॉर्ड बनाया।