
Sophia Qureshi: आज जब हम महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं, तो भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी का नाम गर्व से लिया जाता है। वह ना सिर्फ सेना की वर्दी में देश की रक्षा कर रही हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी भारत की आवाज बन चुकी हैं। हाल ही में भारतीय सेना की इस जांबाज अफसर ने न सिर्फ ऑपरेशन सिंदूर जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के मिशन में भारत की आवाज बनकर मीडिया को ब्रीफ किया, बल्कि पहले भी वो 18 देशों के सैनिकों की मिलिट्री ड्रिल 'एक्सरसाइज फोर्स 18' में भारत की कमान संभाल चुकी हैं। जानिए कर्नल सोफिया कुरैशी के बारे में रोचक बातें।
कर्नल सोफिया कुरैशी मूल रूप से गुजरात की रहने वाली हैं। उन्होंने बायोकैमिस्ट्री में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। एक आम लड़की की तरह उन्होंने पढ़ाई की, लेकिन मन में एक खास सपना था, सेना में जाकर देश की सेवा करना। और उन्होंने यह सपना सिर्फ देखा नहीं, बल्कि उसे सच भी कर दिखाया।
सोफिया भारतीय सेना की सिग्नल कोर (Signal Corps) की अधिकारी हैं, जो सेना के संचार और तकनीकी ऑपरेशंस को संभालती है। वह उन चुनिंदा महिला अफसरों में से हैं, जिन्हें शुरुआत से ही चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारियां दी गईं।
2006 में, कर्नल सोफिया कुरैशी ने यूएन पीसकीपिंग मिशन के तहत कांगो में तैनात किया गया। शांति बनाए रखने के इस वैश्विक मिशन में उन्होंने 6 साल से अधिक समय तक काम किया। उनका चयन भारत की Peacekeeping Training Group से हुआ था, जहां से सबसे बेहतरीन अधिकारियों को इंटरनेशनल मिशन के लिए चुना जाता है।
कर्नल सोफिया कुरैशी ने साल 2016 में Exercise Force 18 में भारत की तरफ से हिस्सा लिया, जहां 18 देशों की संयुक्त सैन्य ड्रिल में उन्हें भारत की टुकड़ी की कमान दी गई। यह पहला मौका था जब किसी महिला ने इतने बड़े अंतरराष्ट्रीय अभ्यास में किसी देश की सैन्य टुकड़ी की अगुवाई की।
हाल ही में, जब कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर 'ऑपरेशन सिंदूर' चलाया गया, तब पूरी दुनिया के मीडिया को जानकारी देने की जिम्मेदारी कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह को सौंपी गई। यह एक ऐतिहासिक पल था, जब दो महिला अफसरों ने पूरे आत्मविश्वास से भारत की स्थिति को अंतरराष्ट्रीय मंच पर रखा।
कर्नल सोफिया कुरैशी का परिवार भी सेना से जुड़ा रहा है। उनके दादा भारतीय सेना में थे और उनके पति मेकनाइज्ड इन्फेंट्री में ऑफिसर हैं। इस तरह उनके जीवन में देशभक्ति सिर्फ एक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि एक परंपरा है। कह सकते हैं कि उनकी खून में देशभक्ति है।
कर्नल सोफिया कुरैशी उन महिलाओं में हैं जिन्होंने यह साबित कर दिया कि अगर हिम्मत हो, तो महिलाएं सेना में भी कमान संभाल सकती हैं। उनकी कहानी सिर्फ एक फौजी अफसर की नहीं, बल्कि एक ऐसी भारतीय बेटी की है जो देश के लिए जीती है, और हर उस लड़की के लिए प्रेरणा है जो कुछ बड़ा करना चाहती है।